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________________ ४. भूधातु सू (५ मा गणना) ॥ ३॥. तर प्रयोग ભાવકર્મપ્રગ. આત્મને પદ. आत्मनेप४. सुन्वे પરમૈપદ. વર્તમાનકાલ. १ सो पु. मेवयन सुनोमि " सुनुवः-सुन्वः , सह, सुनुमः-सुन्म: सुनोषि सुनुथः सुनुवहे-सुन्वहे सुनुमहे-सुन्महे सुनुषे सुन्वाथे सूये सूयावहे सूयामहे सूयसे सूयेथे सूयध्वे सूयते सूयेते सूयन्ते सुनुध्वे सुनुथ सुनोति सुनुते सुन्वाते सुनुतः सुन्वन्ति मई" सुन्वते सुनवै १स पु. मेश्वयन सुनवानि , ६ , सुनवाव सुनवाम अ सुनु सुनुतम् सुनुत सुनोतु सुनवावहै सुनवामहै सुनुष्व सुन्वाथाम् सुनुध्वम् सुनुताम् सुन्वाताम् सुन्वताम् सूयावहै सूयामहै सूयस्व सूयेथाम् सूयध्वम् सूयताम् सूयेताम् सूयन्ताम् " सुनुताम् माई" सुन्वन्तु १ सो पु. सध्ययन सुनुयाम् सुनुयाव सुनुयाम सुनुयाः 4 " सुनुयातम् सुनुयात सुनुयात् सुनुयाताम् 6 सुन्वीय सुन्वीवहि सुन्वीमहि सुन्वीथाः सुन्वीयाथाम् सुन्वीध्वम् सुन्वीत सुन्वीयाताम् सुन्वीरन् सूयेय सूयेवहि सूयेमहि सूयेथाः . सूयेयाथाम् सूर्यध्वम् सूयेत सूयेयाताम् सूयेरन् सुनुयुः " मन १ यो पु. असुन्वि क्यन असुनवम् असुनुव-असुन्व असुनुम-असुन्म असुनुवहि-असुन्वहि असुनुमहि-असुन्महि असूये असूयावहि असूयामहि
SR No.023460
Book TitleSanskrit Bhasha Pradip
Original Sutra AuthorN/A
AuthorThakordas Jamnadas Panji
PublisherThakordas Jamnadas Panji
Publication Year1867
Total Pages366
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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