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( ५० ) जन्म वि० सं० १९७८ । इस महाकाव्यमें ब्राह्मणजीने पुराणकालके आदर्श राजर्षि हरिश्चन्द्र के चरित्रका प्राजल और मनोरम शैलीमें साकार और सगुण रूपमें पधुर वर्णन किया है। महाकविने "विश्वे देवाः" नामक ग्रन्थमें अपने अपने विषयके आदर्श बहुतसे व्यक्तिओंका मनोहर वर्णन किया है। इनका नेपाली भाषामें भी "एक्काइस कथा" नामको अनूठी कवाओंका संग्रह है। - १२ शाहवंशचरित महाकाव्य, कवि-व्याकरणाचार्य हरिप्रसाद आचार्य, समय वि० सं० २०११ है । इसमें शाहवंशके राजाओंका सिलसिलेवार प्राञ्जल वर्णन है।
१३ महेन्द्रोदय महाकाव्य, कवि-भरतराज घिमिरे शास्त्री; काध्यतीर्थ; काव्यरचनासपय वि० सं० २०१२, इसमें नेपालेन्द्र श्री ५ महेन्द्रवीरविकमशाहका साऽलङ्कार और मनोहर वर्णन है, कविकी संस्कृत और नेपाली भाषामें गिरिबाला और नेपालीमें देवयानी महाकाव्य आदि अन्य रचनाएं भी हैं।
१४ श्रीकृष्णचरिताऽमृत महाकाव्य, कवि-कृष्णप्रसाद घिमिरे शास्त्री; काव्यतीर्थ, विद्यावारिधि, कविरल, ग्रन्थप्रकाशनकाल वि० सं० २०२८, श्रीमद्भागवतके भारम्भिक भागपर आश्रित ५८ सोंमें निर्मित अलङ्कारपूर्ण प्राञ्जल और सरस इस महाकाव्यमें सर्गसंख्या में और वर्णनमें अद्भुत चूडान्त कल्पनाकोशल दिखलाया है । महाकविके अन्य भी नाचिकेतस महाकाव्य, ययातिचरित, सम्पातिसन्देश और रामविलाप मावि काव्य और नेपाली भाषामें शाहवंशचरित महाकाव्य बादि अनेक काव्य और संस्कृत के अनूदित ग्रन्थ है।
१५ गुरुगोविन्दसिंहचरित महाकाव्य, कवि-डाक्टर सत्यव्रतशास्त्री, ग्रन्थ. निर्माण समय-५० सं० १९४७ है, ऐतिहासिक यह काम्य वीररसप्रधान, मनोहर
. १६ विन्ध्यवासिनी महाकाव्य, शुम्भवधमहाकाव्य, कपि-वसन्त त्र्यम्बक शेबड़े, रचनाकाल-१० सं० १९८२-१९८३ । महाकाव्यको रचनाएं पौराणिक दुर्गाचरितपर आश्रित मलकारपूर्ण, सरस, प्राञ्जल और मनोहर हैं, इनके सिवाय इनकी वृत्तमचरी, दुर्गास्तवमयूषा बोर श्रीकृष्णचरित आदि अनेक रचनाएं हैं।
अपाक्षिकत्वेन, गुणाग्रहेण, दृष्टः श्रुतेश्चाऽपि समाश्रयेण। ।
संपूरितोऽयं लघुरोषभागस्टौ क्षमाऽहों द्विजशेषराजः ॥ १॥ अपघट्टः काशी
शेषराजशर्मा वि० सं० सं० २०४१