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________________ ( २३२ ) ॥ अथ श्रीगुरु प्रदक्षणा ॥ गोश्रम सुहम्म जंबू, पजवो सिनवाइ आयरिश्रा ॥ नेवि जुगप्पहाणा, परं दिछे सुगुरु ते दिघा ॥ १॥ ऊ को जम्मो, अऊ कयचं च जी वियं मद्य ॥ जेण तु दंसणामय - रसेल सत्ताई नयाई ॥ २॥ सो देसो तं नगरं तं गामो सो समो धन्नो ॥ जल पहु तुम्ह पाया, विदति सयावि सुप्रसन्ना ॥ ३ ॥ हवा ते सुकवा, जे किश्कम्मं कुति तुद्द चलणे ॥ वाणी बहुगुण खाणी, मुगुरु गुणा वन्निश्रा जीए ॥ ४ ॥ वयरिया सूरधे, संजाया मह गिदे कणबुडी ॥ दारिदं प्रागयं. दिघे तुद्द सुगुरु मुहकमले ॥ ५ ॥ चिंतामपि सारिचं, समत्तं पावियं मए खा ॥ संसारो दूरिकर्ड, दिघे तुह सुगुरुमुदकमले ॥ ६ ॥ जा रिद्धी श्रमरगणा, जुंजंता प्रियतमाई संजुत्ता ॥ सापु कित्तियमिता, दिहे तुइ सुगुरु मुदकमले ॥ ७ ॥ मणवयकाएंहिं मए, जं पात्रे श्रयिं सया जयवं ॥ तं सव्वं खा गयं, दिघे तुह सुगुरु मुदकमले ॥ ८ ॥ दुल्लदो जिपिदधम्मो, डुलहो जीवाण माणुसों जम्मो ॥ लकेपि मम्मे, इ डुलदा सुगुरु सामग्गी ॥ एं ॥ जब न दीसंति गुरु, पञ्चसे नहिएहिं सुपसन्ना || तब कहूं जाकिर, जिणवयणं श्रमिच्ासारिखं. ॥ १०॥ जद पाउसंमि मोरा, दिपयर नदयंमि कमलवणसंगा ॥ विसंति तेमतश्चिय, तह दे दंसणे तुम्ह ॥ ११ ॥ जर सरइ सुरदि वो, वसंतमासं च कोईला सरई ॥ वज्रं सरई गईंदो, तह अम्म मां तुमं सरई ॥ १२ ॥ ܪ ܐ
SR No.023442
Book TitlePrakaranmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Kalidas Vadhvanwala
PublisherBhogilal Tarachand Shah
Publication Year1909
Total Pages242
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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