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(११४) एप्रतिमाना था उपर कहेवा प्रमाणे वर्ष जे. ॥ १० ॥ नवणवण कप्पजोश्स, उववाय जिसेअ तह अलंकारा ववसाय सुदम्म सना, मुहमंमव माश्बकजुभा ॥१॥ - शब्दार्थः-लूवनपति, व्यंतर, ज्योतसी थने बार देव लोकए सर्वेमा मली पांच सला. तेनां नाम उत्पात,अनिषेक, अलंकार, व्यवसाय अने सुधर्मा. एसजान मुखमंगप विगेरे उ सहित . तिदुवारा पत्तेअं, तोपुण सनथून सहि बिंबेहिं॥ चेश्य बिबेहि समं, पश्नवणं बिंब असीइसयं ॥१२॥
शब्दार्थः-त्रण हारना जिननूवनमा प्रत्येके चोमुखनी बार प्रतिमा डे. त्यारपती दरेक वारणानी पांच पांच सजाना स्थूनमां साठ जिनप्रतिबिंब . ते चैत्य (मूल) प्रतिबिंबनी साथे गणतां दरेक नूवन प्रत्ये एकसो एंसी जिनबिंब थाय ॥१॥ ६०-१०७-११५॥ जोयण सयंच पन्ना, विसयरि दीहत्तं पिहल उच्चत्तं ॥ वेमाणि नंदीसर, कुंमल रुअगे नवणमाणं ॥१३॥ __ शब्दार्थः-वैमानीकनां, नंदीश्वर छीपनां, कुंमलछोपनां थने रुचकहीपनां वैमानो अनुक्रमे सो योजन, पचास योजन अने बोतेर योजन खांबपणे पहोलपणे अने चपणे जाणवा. ॥ १३ ॥ तीसकुलगिरिसुदस कुरु, मेरुवणिअसोश्वीसगयदंते॥ वकारेसु असीई,चन चन इसुआर मणुष नगे॥१४॥
शब्दार्थः हिमवंतादि त्रीस कुलगिरि पर्वत उपर त्रीस, देवकुरु उत्तर कुरुमां दश, मेरु पर्वतना वनमां एंती, गजदंता पर्वत उपर वीश, वस्कारा पर्वत उपर एंसी श्रने हुकार तथा मानुपोजर पर्वत पर चार चार जिन वन बे. ॥ १५ ॥