SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 151
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (१४४) बांणवयकोमीन, लरका गुणसहि सदस्स पणवीसं॥ नवसयपणवीस जूआ, सतिदा अमनाग पलियस्स शब्दार्थः--बाणु क्रोम,उंगणसाठ लाख,पच्चीस हजार नवसोपचीस पट्योपम श्रने नपर एक पट्योपमना श्राठीया सात नाग; ए टबुं देवगतिनुं आयुष्य बेघमी सामायक करनार जीव बांधे . वाससये घमिआणं, लरिकगवीसं सदस्स तद सही॥ एगावि अधम्मजूआ, जश्ता लादो इमो हो॥॥ शब्दार्थः-एक वर्षनी घमीयो एकवीश लाख अने साउद जार थाय, तेमांथ। एक घमी पण जो जीव धर्म युक्त होय तो तेने आगली गाथामां कहेशे तेटला लान थाय ॥ ७॥ गयालकोमी गुणती-स लक गसही सहस्स सयनवगं ते सही किंच्चूणा, सुराउ बंधोइ गघमिए ॥ ए॥ शब्दार्थः-एक घमी धर्म करनार जीव बेतालीश क्रोम, न गणत्रीस लाख, बासठ हजार, नवसो अने कांश्क उठग एवा सठ एटला पस्योपमनुं आयुष्य बांधे। ए॥ सही अहोरत्तेणं; घमीआ जस्स जति पुरिसस्स ।। नियमेणवि रहीआडे, सो दिप्रद निष्फलो तस्स १० शब्दार्थः एक दिवसनी साउना प्रमाणे जे पुरुषनी घमी. यो जाय , तेमां व्रत नियमथी पण रहित जाय ते दिवस तेनो निष्फल जाणवो० ॥ १० ॥ चत्तारीअ कोमिसया, कोमी सत्तलख्ख अमयाला॥ चाबीसं च सहस्सा, वाससय हुँत्ती ऊसासा ॥ ११ ॥ शब्दार्थ:-एक सो वर्षना चारसो ने सात क्रोम श्रमताली. स खाख, चालीस हजार एटला श्वासोश्वास थाय ॥ ११ ॥
SR No.023442
Book TitlePrakaranmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Kalidas Vadhvanwala
PublisherBhogilal Tarachand Shah
Publication Year1909
Total Pages242
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy