________________
प्रमाणे असुरकुमारनां त्रीश लाख, नागकुमारनां चालीश लाख, सुवर्णकुमारनां चोत्रीश लाख, पछो विद्यत्कुमार अग्निकुमार द्विपकुमार उदधिकुमार अने दिशिकुमार ए पांचेनां छत्रीस छत्रीस लाख, पवनकुमारनां छतालीस लाख, अने स्तनितकुमारनां छत्रीसलाख भुवन उत्तर दिशाए छे, ( सव्वेवि ) के० ए दक्षिण तथा उत्तरे बन्ने श्रेणिना मळी ने ( सत्तकोडी) के० सात क्रोड यके० अने (बावत्तरी लक्खा) के० बहोंतेर लाख भुवन हुंति के० होय छे ॥२७॥
हवे एज दश निकायनी दक्षिण तथा उत्तर श्रेणीनी जुदी जुदी भुवन संख्या कहे छः- . चत्तारिय कोडीओ, लक्खा छचेव दाहिणे भवणा, तिन्नेव य कोडीओ, लक्खा छावठी उत्तरओ ॥२८॥
अर्थः-(चत्तारि कोडीओ) के० चार क्रोड, यके० अने (छ लक्खा) के० छ लाख, (दाहिणे) के० दक्षिण दिशामां, (भवण) के० भुवनो, (चेव) के० निश्चे थाय छे, तथा (तिन्नेव कोडीओ) के० त्रण क्रोड, यके० (छावही लक्खा) के० छासठलाख भुवनो, (उत्तरओ) के० उत्तर दिशा तरफ होय छे ॥२८॥
हवे ए पूर्वोक्त भुवन क्या छ ? ते स्थानक कहे छे:रयणाए हिठुवरिं, जोयण सहस्सं विमुत्त ते भवणा ॥ जंबुद्दीप समा तह, संखमसंखिज्जवित्थारा ॥ २९ ॥ ___ अर्थः-रयणाए के० रत्नप्रभा पृथ्वीनो पींड एक लाख अने ऐसीहजार योजन जाडपणे छे, तेमांथी, (हिठुवरि) के० हेठे ने उपर, (जोयण सहस्सं विमु-तु) के० एक एक हजार योजन