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लंबाई तथा पहलाई (अद्धतेरसलक्खा ) के० साडा बार लाख योजननी ( पंचमंग ) के० भगवती सूत्रमां ( भणीयं ) के० कही छे. ते ( बुहेहिं ) के० विद्वानोए ( निच्च ) के० नित्य ( मुणेयव्वं ) के० जागं ॥ १९ ॥
ed art देवलोकना इन्द्रोने रहेवानां स्थानक कहे छे:कप्पस्स अंतपयरे, नियकप्पवडिंसया विमाणाओ ॥ इंदनिवासा तेसिं, चऊदिसि लोगपालाणं ॥ २० ॥ ५
अर्थः- ( कप्पस ) के० दरेक देवलोकना ( अंतपयरे ) के० छल्ला प्रतरना मध्यभागने विषे ( नियकप्पवर्डिसया ) के० पोतपोताना कल्पने नामे अवतंसक नामना (विमाणाओ ) के० विमानो छे. जेमके - सौधर्म देवलोकना उपरना तेरमा प्रतरने विषे दक्षिण दिशाए मध्यभागे सुधर्मावर्तक नामनुं विमान छे तेमज ईशान देवलोकना उपरना तेरमा प्रतरने विषे उत्तर दिशाए मध्य भागे ईशानraine नामनुं विमान है. एवी रीते सर्व देवलोकने विषे जाणं. परंतु नवमा तथा दशमा देवलोकनो एक इन्द्र छे त्यां चोथा प्रतरे प्राणावतंसक नामनुं विमान छे अने अग्यारमा तथा बारमा देवलोकनो एक इन्द्र छे, त्यां पण चोथा प्रतरे अच्युतावतंसक नामनुं विमान छे. ते अवतंसक नामना विमानाने विषे ( इंदनिवासा) के० इंद्रोनो निवास छे अने ( तेर्सि) के० ते विमाननी ( चऊदिसि ) के० चारे दिशाने विषे ( लोगपालाणं ) ० ते सोम विगेरे चार लोकपालोनो निवास छे. एम सर्व देवलोकने विषे जाणवुं ॥ २० ॥
१ पोतपोताना ताबाना अर्धवलय प्रतरना वा पूर्ण प्रतरना मध्य भागे.