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अर्थ-(णिद्धजिमुतवण्णाभा ) के. स्निग्ध मेघसमान वर्णवाली, (गवरयरीट्ठसमप्पभा) के० भेंसना शींग अथवा अरिष्टरनना समान कांतिवाली, (खंजण वण्ण संकासा ) के० गाडाना पैंडानी मेसना वर्ण सरखी ( कण्हवण्णओ ) के० कृष्णवर्णनी पहेली (लेसाओ) के० कृष्ण लेश्या जाणवी ॥ २५८ ॥ पल्लवासोय संकासा, चासपिच्छसमप्पभा॥ वेरुलीयरयणाभा, वण्णाओ, नीललेसाओ॥ २५९ ।।
अर्थ-(पल्लवासोयसंकासा ) के० अशोक वृक्षना :पल्लव समान कांतिवाली. ( चासपिच्छसमप्पभा ) के० चास पक्षीना पीजना समान वर्णवाली, अने (देरुलीयरयणाभा) के० वडुथरलेश्या समान कांतिवाली वर्णथी नीललेसाओ के वीजी नील लेश्या जाणवी ॥ २५९ ॥ अलसीकुसुमाइवण्णाभा,जारिसीकोइलतलपीच्छच्छदा॥ पारावयगीवसमा, वण्णाओ काउलेसाओ ॥ २६० ॥
अर्थ-( अलसीकुसुमाई वण्णाभा ) के अलसी पुष्प विगेरेना सरखी कांतिवाली, (जारिसीकोइलतुलपीच्छच्छदा) के० जरसी अथवा कोयलना पीच्छना समान वर्णवाली. वली (पारावयगीवसमा ) के० पारेवाना कंठ समान कांतिवाली वण्णाओ के० वर्णथी ( काउलेसाओ ) के० त्रीजी कापोत लेश्या जाणवी ॥२६०॥ तेउलेसा भवे वण्णा, हिंगुलरागसन्निभा ॥ तरुणाइचसमाकंती, दीवसमा होइ सुअतुंडा ॥२६१॥ ____ अर्थ-(हिंगुलरागसनिमा) के० हिंगलाना रंग सरखी, (तलणाइच समाकंति ) के० उगता भूर्यना सरखी कांतिवाली, (दीव