SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 131
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गर्नु, छ सागरोपमना आयुष्यवाला देवता, शरीर प्रमाण छ हाथ अने अगीयारीया एक भागनुं, तथा सात सागरोपमना आयुष्यवाला देवता, शरीर प्रमाण बराबर छ हाथनु जाणवू. __ वली बोजुं दृष्टांत कही समजावे छे के जेम ब्रह्म तथा लांतक देवलोके चउद सागरोपमनी उत्कृष्ट आयुष्य स्थिति छ, तेमांथी सनत्कुमार तथा महेंद्र देवलोकना सात सागरोपमना सात आंक काढी नाखवा वाकी सात रहे तेमांथी एक ओछो करबो, बाकी छ रहे. पछी एक हाथना अगीयारीया भाग मांहेला पांच पडता मूको बाकी छ भाग रहे ते अने पांच हाथ. एटलं आठ सागरोपम आयुष्यवाला देवतार्नु शरीर प्रमाण जाणवू, एरीते एक एक सागरोपमनुं आयुष्य वधतां एक एक अगीयारीओ भाग शरीर ना प्रमाणमांथी घटाडवो, ए सर्व यंत्र उपरथी जाणी लेवू, ।। एज वात नीचेनी मायाथी कहे छे
SR No.023435
Book TitleBruhat Sangrahani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrasuri
PublisherUmedchand Raichand Master
Publication Year1924
Total Pages272
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy