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हेमचन्द्रिकानुं सुन्दर सम्पादन अने संशोधन रचनाकार महर्षिना शिष्यरत्न विद्याव्यासंगी, विद्वान् पूज्य मुनिराजश्रीमनोहरविजयजी म० श्री मे करेल छ ।
प्रस्तुत पुस्तकना मुद्रणमां विद्वद्वयं-प्रखरवक्ता-लेखपटु पूज्यपाद पन्यासजीमहाराज श्री सुशीलविजयजी गणिवरश्रीना सदुपदेशथी वराडा निवासी श्रेष्ठिवर्य श्री हेमराजजी हंसराजजी भण्डारी तरफथी रु० ५५१) नी उदार सहाय मली छे। आ पुस्तकनी प्रस्तावना शिवगंज राजकीय विद्यालयना प्राध्यापक पंडितप्रवर श्री सुरेश भाजी ए लखी छे । रचयिता, सम्पादक, सहाय सदुपदेशक-सहायक अने प्रस्तावक महाशयोनो सहकार अविस्मरणीय होवाथी ते तमामनो आभार मानीये छी। - शुभ लागणी पूर्वक अने झडपथी आ पुस्तक छापी आपनार जोधपुरना सुप्रसिद्ध कुम्भट प्रेसना मालिक श्रीमखतुरमलजी कुम्भट ने धन्यवाद छ।
प्रान्ते सरल, सुन्दर अने अति उपयोगी श्रीहेमचन्द्रिका व्याकरणनो अधिकतर उपयोग थशे एवा विश्वाससाथे विरमीए छीथे।