SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 55
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (4) तत्वविन्दुः सता ते कथंचित मूल द्रव्य सत्ताथी अभिन्न छ तेनी अपेक्षाए सविकल्पक चारभंगीनो अन्तर्भाव, निर्विकल्पक संग्रहादि अग नवमां थाय छे. आपात सम्मतितर्क द्वितीय काण्ड पाना . ४७ माए छे. १५३ साल मंगी केम थाय छे ? आठमी थती नथी तेनुं शुं कारण छे? आठमी भंगीनी कल्पनानो अभाव छे माटे. ते बताये छे. प्रथम अने बीजो भंगी मेळवीने आठमी भंगी बनावशो तो स्यात् अस्तिनास्तिरूप चतुर्थभंगीमां तेनो अन्तर्भाव थवाथी अष्टमभंगी बनशे नही. पहेली अने त्रीजी भंगी मेळवीने जो भाठमी भंगी सिद्ध करशो तोते नहि सिद्ध थतां तेनो पांचमी भंगीमां अन्तर्भाव थशे. जो बीजी अने त्रीजी भंगी मेळवीने आठमी भंगी करवा धारशो तो ते नहीं बने अने तेनो षष्ठी भंगीमां अन्तर्भाव थशे. जो पहेली, बीजी अने त्रीजी भंगीने मेळवीने अष्टम भंगी करवा धारशो तो ते नहीं बने अने तेनो सातमी भंगीमां अन्तर्भाव थशे. तथा प्रथमादि त्रण भंगीनी साथे चोथी आदि भंगीयो जोडीने आठमी भंगी करवाथी पुनरुक्त दोष प्राप्त थाय छे. यथा स्योत् अस्तिअस्ति नास्ति एम पहेली अने चोथी भंगी मेळवीने आठमी करवाथी पुनरूक्ति दोष प्राप्त थयो. कारण के चोथी भंगीमां अस्ति छे. तो तेनी साये प्रथम भंगी जोडवानी जरूर नथी. माटे ए सप्तभंगी उपर अष्टमभंगी सिद्ध थती नथी.
SR No.023422
Book TitleTattvabindu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1910
Total Pages202
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy