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. तस्वविन्दुः
(१५.) minimuminminmann केवलज्ञान थतां चउदपूर्वश्रुतनो नाश थायछे. कोइ ग्लान तथा प्रमाददशाथी पण चतुर्दश पूर्वरूप श्रुतज्ञानथी पडेछे (वि. पत्र १६७)
प्रश्नोत्तर सार्धशतक. ५२२ तीर्थकर भगवान् दीक्षा लेती वखते सिद्धोने नमस्कार करे.
उक्तंच आचारांगसूत्र द्वितीयश्रुतस्कंध षष्ठाध्ययने-ओणं से महावीरे पंचमुठियं लोयं करेत्ता सिद्धाण नमोकारं करेइ ॥
५२३ केवलीने वेदनीयादिशेष चार कर्मछे ते जीर्ण वस्त्र प्राय जाणवां.
५२४ एकावतारी देवोने च्यवनचिन्ह प्रगट थतां नथी.
५२५
ता वेदनीय बघिछ
५२५ अगियारमा, बारमा अने तेरमा गुणस्थानकवर्ति मुनियो, प्र..
कृतिथी शाता वेदनीय बांघेछे. अकषायत्वथी स्थितिना अअभावे बध्यमानज परिशाटन करेछे. अनुभावथी अनुत्तरोप पातिक सुखातिशायीछे, प्रदेशथी स्थूल रुक्ष शुक्लादि बहु प्रदेशविशिष्ट कर्मने बांधेछे.
भावथी अनुत्तराप