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________________ ३६४. उच्चारं पासवणं उच्चारे पासवणे उच्चालियंमि उच्च फलकुसुमं उच्छाईऊण य उज्जत सेलसिहरे उडुमहतिरियलोए उट्टे परिसंठिअ उड्डम तिरिमि उत्तमगुणबहुम उत्तमपत्तं साहू उत्तिउवओग उत्तिउवउग उद्धावणापहा उप्पण्णंम अणते उभावणा पवयणे उयह पडिभग्ग उवउत्तस्स उ तं उवएस पुण उवगओ सिव उवज्झायनमुक्का उवज्झायनमुक्कारो उवज्झायनमुक्का उवज्झायनमुक्का उals मंगलं वो उवयारो पडिवन्नं उवसमसारं उवसमसम्मदि उवसमेण हणे कोहं उस्सग्गेण उस्सास न निरंभइ उस्सि अनिसन्नग प्रतिक्रमणम् प्रतिक्रमणम् जीवकरुणा जिनपूजा कायोत्सर्गः गुरुस्तुतिः स्वाध्यायः वन्दनकम् प्रत्याख्यानम् जिनपूजा सम्यक्त्वम् नमस्कारः नमस्कारः वन्दनकम् परोपकारः प्रभावनातीर्थे जिनपूजा प्रतिक्रमणम् परोपकारः सामाि नमस्कारः नमस्कारः नमस्कारः नमस्कारः जिनपूजा नमस्कारः उपशमः सम्यक्त्वम् उपशमः कायोत्सर्गः कायोत्सर्गः कायोत्सर्गः 'मन्नह जिणाण आणं स्वाध्यायः ' आवश्यक निर्युक्ति- १२४९ वृत्ति आवश्यकनिर्युक्ति-१२४९ ओघनिर्युक्ति - - ७४९ श्राद्धविधिवृत्ति आ. नि. १५४७ वृत्ति, प्र. सा. - २५४ उपदेशमाला - ३३८ योगशास्त्र - ३/१२९ वृत्ति महानिशिथ - ३/१०९ उपदेशपद - १०२४, पञ्चाशक - १९२ गाथासहस्त्री - १४४, गु.ष. - १८ वृत्ति आवश्यक नियुक्ति - १००२ आवश्यक नियुक्ति - १००३ आवश्यक नियुक्ति - १९९५ वृत्ति आवश्यक निर्युक्ति-५३९ विशेषावश्यकभाष्य-८६३ उपदेशमाला - ४४८ वसुदेव आवश्यक निर्युक्ति-१००४ आवश्यक नियुक्ति - १००५ आवश्यक नियुक्ति - १००६ आवश्यक निर्युक्ति-१००७ शतकबृहच्चूर्णि दशवैकालिक - ८/३९ पञ्चाशक- ७६२ आवश्यक निर्युक्ति- १५१० आवश्यकनिर्युक्ति-१४६१ १११ १११ ३१३ २५१ १२७ ` २६९ २०८ ९७ १५६ २४८ ६४ २२१ २२१ १०३ २२८ ३४९ २४६ ११२ २२७ ८५ २२१ २२१ २२१ २२२ २४६ २१५ २९३ ६५ २८९ १९८ १२१ ११९
SR No.023419
Book TitleMannaha Jinan Aanam Swadhyay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykirtiyashsuri
PublisherSanmarg Prakashan
Publication Year2013
Total Pages468
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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