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भारतीय संवतों का इतिहास
पृथक् पंचांग ग्रहण नहीं किया गया है। बहाई संवत के लिए नये पंचांग की व्यवस्था की गयी है। इसका प्रयोग बहाई सम्प्रदाय द्वारा किया जाता है तथा इसका अपना पंचांग छपता है।
वर्तमान राष्ट्रीय पंचांग जो शक संवत के नाम से जाना जाता है भारत सरकार के प्रशासनिक कार्यों व आकाशवाणी प्रसारण के लिए प्रयुक्त हो रहा है। इसकी पद्धति प्राचीन शक संवत् से एकदम पृथक है लेकिन इसका नाम शक संवत् ही है तथा वर्षों की गणना भी ७८ ई० में आरंभ हुए शक संवत के अनुसार ही की जा रही है। राष्ट्रीय पंचांग का राष्ट्रीय नाम होते हुए भी व्यापक रूप में प्रयुक्त नहीं हो रहा है। इसके नये वर्ष का आरम्भ बसन्त महाविषुव से (२१ मार्च) होता है व लोंद का वर्ष ईसाई संवत के लोंद के वर्ष के साथ ही पड़ता है । इसका वर्तमान प्रचलित वर्ष १९११ है जो १९८६-६० ई० के समान है।