________________
विभिन्न सम्वतों का पारस्परिक सम्बन्ध व वर्तमान अवस्था
१८७
बढ़ रही है । ईसाई संवत का यह १६८९वां वर्ष चालू है जो विक्रम २०४६ तथा शक १९११ के समान है।
फसली संवत का प्रयोग भारत के अनेक क्षेत्रों में हुआ तथा वर्तमान समय में भी यह संवत प्रचलित है। फसली संवत के वर्षों का आरंभ अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग तिथियों से होता है । "८ जून से बम्बई में, १ जुलाई से दक्षिण में तथा १३ सितम्बर से बंगाल में फसली संवत के वर्ष का आरम्भ होता है।"
__ हिज्रा संवत का प्रयोग भारत में इस्लाम के अनुयायियों द्वारा अपने धार्मिक कृत्यों के लिए किया जाता है। इसमें शुक्रवार का विशेष महत्व है। इसी दिन से नये वर्ष का आरम्भ किया जाता है। "वर्तमान हिज्री सन् १४१० है, जो १९८६६० ई० के बराबर है।" ___ इन प्रमुख संवतों के अतिरिक्त भी लक्ष्मणसेन, कोल्लम, बंगाली सन् आदि क्षेत्रीय संवतों का प्रयोग भारत में हो रहा है। बंगाली सन् का प्रचलन क्षेत्र बंगाल है। इसके वर्ष का आरम्भ चैत्र २५ से होता है । "बंगाली सन् १३६३ का प्रारंभ-२५ चैत्र (१५ अप्रैल सन् १९८६ ई०) को हुआ।" उत्तरी व दक्षिणी मालाबार में कोल्लम संवत प्रचलित है जिसका आरम्भ ८२३ ई० से हुआ। उत्तरी मालाबार में इसके वर्ष का आरम्भ १७ सितम्बर से होता है तथा कन्यादि है । दक्षिणी मालाबार में वर्ष आरम्भ १७ अगस्त से होता है तथा सिंहादि है। "कोल्लम संवत् ११६२ का आरम्भ श्रावण २६ (१७ अगस्त सन् १९८६ ई०) को हुआ।"५
उन्नीसवीं सदी ई० में आरम्भ हुए महर्षि दयानन्दाब्द व बहाई संवतों का प्रयोग भी इनसे सम्बन्धित सम्प्रदायों द्वारा किया जा रहा है। इनमें महर्षि दयानन्दाब्द तो पूर्ण रूप से ईसाई संवत के अनुरूप ही है। इसके लिए कोई
१ "रिपोर्ट ऑफ द कलेण्डर रिफोर्म कमेटी", दिल्ली, १९५५, पृ० २५८ । २. "राष्ट्रीय पंचांग", दिल्ली : द कन्ट्रोलर ऑफ पब्लिकेशन्स १६८६, भूमिका
पृ० ६। ३. वही, १९८६-८७, भूमिका। ४. कन्यादि का अर्थ है-कन्या राशि से आरम्भ तथा सिंहादि का अर्थ है
सिंह राशि से आरम्भ। ५. भारत सरकार, "राष्ट्रीय पंचांग", नई दिल्ली, १९८६-८७, भूमिका।