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________________ ऐतिहासिक घटनाओं से आरंभ होने वाले सम्वत् अमली संवत् । इस संवत् को अमली संवत् अथवा कटकी संवत् नामों से जाना जाता है । इस संवत् का नाम अमली किस कारण पड़ा, स्पष्ट नहीं है । इसका प्रचलन उड़ीसा में रहा । " कलैण्डर सुधार समिति की रिपोर्ट में इस संवत् के आरम्भ के लिये निश्चित रूप से मान्य ५६२ ई० वर्ष दिया गया है । अमली संवत् का १९५४ ई० में १३६२ प्रचलित वर्ष था अर्थात् १९५४ -- १३६२ः .५६२ ई० । अतः ई० ५६२ से आरम्भ होकर ई० १६५४ तक अमली संवत् के उतने ही वर्ष व्यतीत हुये, जितने ईसाई संवत् के । इससे स्पष्ट है कि अमली संवत् के वर्ष की लम्बाई ईसाई संवत् के वर्ष के बराबर है । अत १९५४ से अब १६८६ तक अमली संवत् के भी ३५ वर्ष व्यतीत हो चुके हैं । अतः अमली संवत् का वर्तमान प्रचलित वर्ष १३६२ + ३५ = १३६७ है । - १२३ उड़ीसा के राजा इन्द्रद्युम्न को अमली सम्वत् का आरम्भकर्ता समझा जाता है । "इस संवत् के संदर्भ में माना जाता है कि इसका आरम्भ उड़ीसा के राजा इन्द्रद्युम्न के जन्म पर भाद्रपद शुक्ल १२ से हुआ तथा प्रत्येक माह का आरम्भ सूर्य की नयी संक्रान्ति में प्रवेश के साथ होता है । अमली संवत् का प्रयोग उड़ीसा में व्यावसायिक कार्यों को पूरा करने के लिये तथा न्यायालयों में कानून सम्बन्धी कार्यों के लिये होता था ।"* अमली संवत् के माह, वर्ष और गणना पर ही आधारित है । संक्रान्ति से संक्रान्ति तक माह की गणना की व्यवस्था रही तथा वर्ष भी पूर्ण सौर वर्ष के बराबर है जिससे इसका वर्ष ईसाई संवत् के समान है । रोबर्ट सी० वैल के कथन से विदित है कि अमली संवत् का प्रयोग व्यावसायिक व न्यायिक कार्यों के लिये होता था । सम्भव है बाद में यह प्रयोग मात्र धार्मिक कार्यों तक ही सीमित रह गया हो । विलायती सम्वत् विलायती नाम सुनने से ऐसा प्रतीत होता है कि यह संवत् विदेशी है जिसे भारतीयों ने ग्रहण कर लिया । परन्तु, कलेण्डर रिफोर्म कमेटी ने इसे भारतीय १. "रिपोर्ट ऑफ द कलैण्डर रिफोर्म कमेटी", दिल्ली, १९५५, पृ० २५८ । २ . वही । ३. वही । ४. रोबर्ट सीवल, "दि इण्डिलन कलैण्डर ", लन्दन, १८६२, पृ० ४३ ।
SR No.023417
Book TitleBharatiya Samvato Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAparna Sharma
PublisherS S Publishers
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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