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________________ c19 ऐतिहासिक घटनाओं से आरंभ होने वाले सम्वत् पाथिया सम्वत् इस सम्वत् को पाथिया के अतिरिक्त पारद, पाथियन, अथवा एरेसिंड आदि नामों से जाना जाता है । इस सम्वत् का प्रचलन पंजाब के पश्चिमोत्तर प्रदेश में रहा । जार्ज स्थिमथ ने बेबीलोन से प्राप्त तीन पाथियन सारणियों के आधार पर २४८ ई० पूर्व पाथियन सम्वत् का आरम्भ माना। परन्तु कनिंघम इससे सहमत नहीं हैं : "पाथियन सम्वत् का आरम्भ अप्रैल २४७ ई० पूर्व में हुना होगा न कि अक्टूबर २४८ ई० पूर्व में ।"२ कनिंघम ने पाथियन स्वतन्त्रता की तिथि २४७ ई० पूर्व मानी है और यहीं से पार्थियन सम्वत् का आरम्भ माना है तथा कनिंघम का विश्वास है कि २४६ ई० पूर्व तक प्रथम वर्ष पूर्ण हुमा होगा। भारत में यह मौर्य वंशी सम्राट अशोक के शासन का समय था । पंडित भगवद् दत्त ने पाथियन सम्वत् का आरम्भ "शक विक्रम सम्वत् से १८६ वर्ष (२४६ वर्ष पूर्व) पहले चला"४ माना है। इस सम्बन्ध में यही समझना चाहिए कि २४८ ई० पूर्व के करीब ही पाथिया सम्वत् का आरम्भ हुआ। यदि एक-दो वर्ष का अन्तर चालू या व्यतीत वर्ष लिखे जाने के कारण रह सकता है जैसाकि अन्य बहुत से भारतीय सम्वतों में रहता है। इस सम्वत् के विषय में अधिक विस्तृत वर्णन उपलब्ध नहीं है अतः इसकी गणना पद्धति, प्रचलन क्षेत्र व प्रचलन समय के विषय में निश्चित रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता । इस सम्वत् से सम्बन्धित एक लेख का उल्लेख पंडित भगवद् दत्त ने 'प्रोग्रेस ऑफ इण्डिक स्टडीज' के आधार पर इस प्रकार किया है : "पहलवी भाषा का एक अति पुराना लेख सन् १६०६ में कुदिस्तान से मिला था उस पर हर्वतत् मास का इस शक का ३०० वर्ष अंकित है।"५ इस अभिलेख के उद्धरण से यही तात्पर्य निकलता है कि सेल्युसीडियन सम्वत् के समान ही पार्थियन सम्वत भी विदेशी था । यदाकदा राजनीतिक प्रभाव से अभिलेकों के लिये भारत में इसका १. कनिंघम द्वारा अपनी पुस्तक, "ए बुक ऑफ इण्डियन एराज", में उद्धृत, वाराणसी, १९७६, पृ० ४६ । २. एलेग्जेण्डर कनिंघम, "ए बुक ऑफ इण्डियन एराज", वाराणसी, १९७६, प०४६ । ३. वही। ४. पंडित भगवद दत्त, "भारतवर्ष का वृहद इतिहास", दिल्ली, १९५०, पृ० १७० । ५. वही, पृ० १७१।
SR No.023417
Book TitleBharatiya Samvato Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAparna Sharma
PublisherS S Publishers
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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