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________________ ३० शीलोपदेशमाला. चार करवामां एटले 'श्रा स्त्री सुशीला के उःशीला डे' एनो निर्णय करवामां मूढ सरखा ने अने कांश्क जाणता होय तो कहेवाने असमर्थ होवाथी मूंगाना सरखा . अर्थात् बुद्धिमंत पुरुषो पण स्त्रीना चरित्रने जाणी शकता नथी भने कांश्क जाणे ने तो प्रगट नहीं होवाथी कही शकता नथी. कह्यु डे के चत्वारः सृजता पूर्व, मुपायास्तेन वेधसा ॥ नसृष्टः पंचमः कोऽपि, गृह्यते येन योषितः ॥१॥ अर्थ-विश्वने सृजनारा ते ब्रह्माए प्रथम चार उपाय सरजा ; परंतु कोइ पण पांचमो सरजो नथी के, जेथी स्त्रीउने पकडी शकाय. ॥ ३ ॥ मनुष्यपणुं साधारण बतां ए स्त्री एवी केम होय बे ? त्यां कहेडे. ___ अन्यं रमते निरीक्षते अन्यं चिंतयति लापते अन्य अन्नं रेम निरिकश, अन्नं चिंते नासए अन्नं ॥ अन्यस्य ददाति दोषं कपटकुटी कामिनी विकटा अन्नस्स देई दोस, कवडकुमी कामिणी विमा ॥४॥ शब्दार्थ- स्त्री ( अन्नं के० ) बीजानी (रम के०) स्पृहाथी श्या करे बे. (अन्नं के०) बीजाने (निरिकर के) व्याकुलपणाथी जोवे बे. (अन्नं के०) बीजाने (चिंतेश् के०) चिंतवे . (अन्नं के०) बीजानी साथे (जासए के०) वातो करे . वली (अन्नस्स के०) बीजाने (दोसं के०) दोष-अपवाद (देश के०) आपे बे; माटे (कामिणी के०) स्त्री (विश्रमा के०) म्होटी एवी (कवडकुमी के०) कपटनी कुपनी बे॥॥ विशेषार्थ- स्त्री एक पुरुषनी स्पृहाथी श्छा करे बे, बीजाने व्याकुलपणाथी जोवे , त्रीजानो मनमां विचार करे जे अने चोथानी साथे वातो करे बे. वली रागरहित एवा को बीजाज पुरुषने पुराचारीपणानो अपवाद श्रापे बे; माटीस्त्री खरेखरी म्होटी कपटनी ऊपडी. कडं बे के जल्पंति सामन्येन, पश्यंत्यन्यं सवित्रमा ॥ हमतं चिंतयत्यन्यं, न स्त्रीणामेकतो रतिः॥१॥ अर्थ- स्त्री एकनी साथे वात करे डे; कटाक्ष सहित बीजाने जुए के;
SR No.023404
Book TitleShilopadesh Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Kalidas Shastri
PublisherJain Vidyashala
Publication Year1900
Total Pages456
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size15 MB
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