SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 379
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मूलगाथा. मूर्ति (न निनाए के०) न जोवी. (वा के०) अथवा (समलं कियं के०) सारी रीते सुशोजित थएली (नारिं के० ) स्त्रीने पण न जोवी. कदापि अजाणथी स्त्री रूप जोवा जाय तो (जस्करंपिव के०) सूर्यनी पेठे एटले जेम आपणे सूर्यने जो ऊट दृष्टिने बीजी तरफ करीए बीए, तेम (दहुणं के०) स्त्रीने जोश्ने (दिहिं के०) दृष्टिने (पमिसमाहरे के०) पाली खेंची लेवी. ॥१॥ विशेषार्थ- ब्रह्मव्रत धारण करनारा पुरुषे जीत उपर चितरेली बीनी मूर्तिने न जोवी तेमज वस्त्र तथा घरेणां विगेरेथी सुशोजित बनेली स्त्रीनेपण न जोवी. था ठेकाणे कोश्ने एम शंका थाय के "स्त्रीनुं स्वरूप न जोवं, एम तो क्यारे पण बनी शके नहीं. कारण के, चकुजियना चपलपणाथी मार्गादिकने विषे क्यारेक जोवा जवाय.” ए ठेकाणे समाधान आपे के, जो कोइ वखते स्त्रीस्वरूप जोवा जाय तो सू. र्यनी पेठे एटले जेम थापणे सूर्यने जोर दृष्टिने खेंची लश्ए बीए, तेम स्त्रीना स्वरूपने जोश्ने तुरत दृष्टिने पाली खेंची लेवी. ॥ १ ॥ हवे स्त्रीउना प्रसंगथी थता दोषने दूर राखवा माटे स्त्रीचें नाम पण न ले, ते वात कहे जे. हस्तपादपरिजिन्नां कर्णनासाविकस्पितां . दबपीयपलिबिन्नं, कंनैनासविगप्पियं ॥ अपि वर्षशतां नारी ब्रह्मचारी विवर्जयेत् अवि वाससयं नारिं, बंनंयारी विवजए॥७॥ शब्दार्थ- (बंजयारी के०) ब्रह्मव्रत धारण करनारा पुरुषे (हबपायपलिडिन्नं के०) हाथ पग कपाश्गएली(कंननास विगप्पियं के०) कान नाक बेदार गएली अने (वाससयं अवि के०) सो वर्षनी एवीय पण (नारि के०) स्त्रीने (विवाए के०) त्यजी देवी. ॥ ७॥ विशेषार्थ- शुद्ध ब्रह्म व्रतधारी पुरुषे कपाश् गएला हाथपगवाली, बेदार गएला नाककानवाली अने सो वर्षनी एटले बहु वृष थएली एवी पण स्त्रीने त्याग करवी. अर्थात् रूप, वेषयने वर्षादिकथीन श्वा लायक एवी स्त्रीनुं पण नाम त्यजी देवं. ॥ ७ ॥ .
SR No.023404
Book TitleShilopadesh Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Kalidas Shastri
PublisherJain Vidyashala
Publication Year1900
Total Pages456
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy