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________________ मूलगाया. ३६१० दवे शीलत्रत धारण करनारा पुरुषोने स्त्रीनो संग वर्जवानुं कहता ता कहे. ब्रह्मव्रतधारिणां नारी संगः प्रस्ता बंजवर्यधारीणं, नारीसेंगे अपचारी ॥ मूषकानामिव मार्जारी, इति निषिद्धं च सूत्रेऽपि मूसाव मंजारी, इयं निर्सि६ चे सुतेवि ॥ ६८ ॥ शब्दार्थ - (बंजवयधारीणं के० ) ब्रह्मव्रत ( शीलत्रत ) धारण करनाराने ( नारीसंग के० ) स्त्रीजनो संग ( अपचारी के० ) अनर्थन करनारो बे. अर्थात् शीलवतनो नाश करनारो डे. त्यां दृष्ठांत कड़े ah - ( मंजारी के० ) बिलाडी ( मूसाणव के० ) जंदरने जेम नर्थ करे म. ( इय के० ) ए कारण माटे ( सुतेवि के० ) दशवैका लिका दिक सुत्रने विषेपण (निसिद्ध के० ) निषेध कस्यो बे. (च) समुच्चयने छार्थे जावो. ॥ ६८ ॥ विशेषार्थ जेम बिलाडी उंदरोना दयनुं कारण बे तेम ब्रह्मचर्य व्रत रूप शरीरना कयनुं कारण स्त्रीनो संग बे. एज कारण माटे सिद्धांतने विषे पण शीलव्रत धारण करनारउने स्त्रीउने संग निषेध कस्यो बे ॥६८॥ तेजवात कड़े. (अनुष्टुपवृत्तम्) विजुषा स्त्रीसंसर्गः प्रणितः सनोजनं विभूसा इविसग्गी, पेणीयं रसनोयणं ॥ नरस्य श्रात्मगवेषकस्य विषं तालपुढं यथा नेरस्सऽत्तगवेसिंस्स, विसं तालनडं जदा ॥ ६९ ॥ शब्दार्थ - (अत्तगवे सिस्स के० ) तत्वना जाए एवा (नरस्स के० ) माणसने ( विसा के० ) उगट वस्त्रालंकारथी शरीरने शणगारयुं, ( इके० ) उनो समागम, (पणीयं के० ) स्निग्ध आहार अने (रसोय के० ) विगने सेवन करवुं श्रर्थात् जेथी विकार उत्पन्न याय तेवा पदार्थने जोजन कर ए सर्व (विसं के०) विष बे. ( जहा के० ) जेम ४७
SR No.023404
Book TitleShilopadesh Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Kalidas Shastri
PublisherJain Vidyashala
Publication Year1900
Total Pages456
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size15 MB
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