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________________ शीलवतीनी कथा. ३०ए कारे श्रावक धर्म पालता बता उत्तर अवस्थामा श्रावी पहोच्या तो पण तेमने सुखना कारणरूप पुत्र विगेरे कांश पण संतान थयुं नहीं. एक दिवस पुत्र नहिं होवाथी महाकुःख पामती एवी श्रीए रत्नाकर शेठने कह्यु के, “ हे स्वामिन् ! श्रापणा नगरना उपवनने विषे श्रजितनाथ प्रजुना मंदिरनी पासे प्रगट महाप्रजाववाली अजितबला नामनी देवी . ते देवीनी सेवा नक्ति करनार जो पोते निर्धन होय तो धन, थपुत्र होय तो पुत्र श्रने नाग्यरहित होय तो सारु लाग्य पामे ; माटे हे आर्यपुत्र ! तमे ते देवीनी मानता करवा योग्य . कारण के, माणसो पुत्रने अर्थे पोताना प्राणनी पण नेट श्रापे .” पड़ी रत्नाकर शेठे ते देवीनी मानता राखी; जेथी तेमने एक उत्तम पुत्र थयो. कडं बे के-श्रारंजेली क्रिया नाग्ययोगथी अवसरे फलीनूत थाय . पड़ी जन्मोत्सव करीने रत्नाकर शेठे बारमे दिवसे देवीना महात्म्यने सूचवनारू पुत्रनुं अजितसेन नाम पाड्युं. अनुक्रमे बाल्यावस्थाने उबंधी युवावस्थाने प्राप्त थयेला ते अजितसेन कुमारनो सरस्वती अने लक्ष्मी ए बन्ने देवीए हरिफाश्थी एक वखते आश्रय कस्यो. पड़ी जेम विधान माणस शास्त्रार्थना संदेहने विषे विचार करे तेम रत्नाकर शेठ पुत्रने अर्थे योग्य कन्यानो विचार करवा लाग्यो के, “ जो श्रा म्हारो पुत्र पोताना गुणने तुल्य एवी कन्याने नहिं पामे तो ब्रह्मानो विश्वरचवानो श्रम निष्फल जाणवो. कडं डे के-" अविवेकी धणी, परवशपएं, उष्ट चाकर श्रने उष्ट एवी स्त्री ए चार माणसो मननां शल्य बे.” रत्नाकर शेठ था प्रमाणे विचार करतो हतो, एवामां तेणे प्रथम परदेश मोकलेलो कोश वणिक पुत्र श्रावीने तेनी पासे बेगे. शेठे तेने व्यवहारनुं स्वरूप पूब्युं एटले तेणे लाल अने खरच विगेरेना सर्व समाचार कह्या. वली तेणे कयुं के, “ हुँ मंगला नामनी नगरीने विषे गयो हतो. त्या म्हारे जिनदत्त शेठनी साथे वेपार थयो हतो. एक दिवस ते शेठना आग्रहथी हुँ तेने घेर जमवा गयो हतो, त्यां में तेना घरने विषे स्वर्गथी चवेली को देवांगना सरखी एक उत्तम कन्याने दी. ती. पडी श्राश्चर्य पामेला में ते शेग्ने पूज्युं के, " तमारा घरने विषे श्रा कन्या कोण ?" जिनदत्त शेठे उत्तर प्राप्यो के, “प्रत्यक्ष चिंताना
SR No.023404
Book TitleShilopadesh Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Kalidas Shastri
PublisherJain Vidyashala
Publication Year1900
Total Pages456
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size15 MB
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