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शीलोपदेशमाला. सन उपर बेसारी ते स्त्रीपुरुषे झानि गुरु पासे दीक्षा लीधी. अनुक्रमे ते स्त्री पुरुष बहुकाल सुधी निरतिचार एवं चारित्र पाली स्वर्गने पामी अने त्यांची चवीने पनी कुकर्मने खपावी मोक्ष पामशे.
इति कलावतीनी कथा समाप्ता.
महर्षिउने पण गृहस्थाश्रममा रहेखि कोश् महासतीतुं स्तुति करवा
योग्य शीलनुं माहात्म्य कहेजे.
शीलवतीनंदयंतीमनोरमारोहिणीप्रमुख्याणां सीलवश्नंदयंतीमणोरमारोहिणीपमुकाणं ॥ शषिणोऽपि सदाकालं महासतीनां स्तुवंति गुणान् रिसिंगोवि सयाकोलं, महासईणं थुति गुणे ॥५॥
शब्दार्थ-(सीलवर के० ) शीलवती (नंदयंती के०) नंदवती (मपोरमा के०) मनोरमा थने (रोहिणी पमुकाणं के०) रोहिणी प्रमुख (महासणं के०) मयासतीउँना (गुणे के०) गुणोने (रिसिणोवि केआ) कषि पण (सयाकालं के०) सदा काल (थुणंती के०)स्तवे . ॥५६॥
विशेषार्थ- जिनदत्त शेउनी पुत्री शीलवती, नागदत्त शेउनी पुत्री नंदयंती, सुदर्शन शेग्नी स्त्री मनोरमा भने धनावह शेग्नी स्त्री रोहिणी विगेरे शीलवतने धारण करनारी महा सती था जगत्मां जयवंती वत्तॊ. के, जे महासतीउना गुणोने जन्मथी मांडीने शीलवत धारण करनारा झषि पण निरंतर स्तुति करे . ॥ ५६ ॥
शीलवतीनी कथा .. जंबूछीपना मुकुटमणि रूप नंदनवन नामर्नु नगर जे. जे नगरनी स्फटिक मणिमय हवेलीना अग्रजागनी उबलती कांतिना समूहथी हसायलो होय नहिं शुं? एवो चं आकाशने विषे वय पामतो जाय
. ते नगरमां जेनो यशरूप चं उत्तम कांतिवालो बतो विश्वरूप मंडपमा शोजतो हतो एवो अरिमर्दन नामनो राजा राज्य करतो हतो. ते राजाने उत्तम आचारवालो रत्नाकर नामनो मान्यवंत शेठ हतो. ते शेग्ने उत्तम गुणवाली श्री नामनी स्त्री हती. तेजे बन्ने जणा उत्तम प्र