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________________ २॥ दैपायनी कथा. धीवरनी पुत्रिने जोर ते शषिए ध्यानमांथी चूकी तेनी साथे विषयसुख जोगव्यु, तेथी केटलेक दिवसे तेने एक पुत्र थयो. तेनुं द्वैपायन एवं नाम पाड्यु. द्वैपायन म्होटो थयो एटले ते तापसी दीक्षा ल तप करवा लाग्यो. . हवे एक वखते शांतनु राजा मृगया रमवा माटे नावमां बेसी यमु. ना नदीने सामे कांठे गयो. त्यां तेणे घणा खरूपवाली धीवरनी पुत्री सत्यवतीने देखी तेना पिताने कयु के, “श्रा त्हारी पुत्री मने श्राप," धीवरे कडं. “ हे राजा ! मने तमारा सरखो जमाश् क्याथी मले? प. रंतु तमारे गांगेय नामनो पुत्र ने, तेथी म्हारी पुत्रीना पुत्रने राज्य मले नहि; पण जो तमे मने एवं वचन श्रापो के, “ हुं हारी पुत्री सत्यवतीना दीकराने राज्य थापीश, तो हुँ तमने म्हारी पुत्री परणावं.” धी. वरना एवां वचनो सांजली खेद पामेलो राजा पोताना नगरमां गयो, परंतु-कोश्नी साथे राज्यसंबंधी वातचित के, जोजन पण करे नहीं. था वात गांगेयना सांजलवामां श्रावी के, 'राजा धीवरनी पुत्री सत्यवतीने माटे चिंता करे .' पठी गांगेये पोताना पिता शांतनु राजाने धीवरनी पासे लश् जर तेनी सत्यवती पुत्री मागी श्रने धीवरने एईं वचन श्राप्यु के, “ हुँ त्हारी पुत्रीना पुत्रने राज्य पापीश अने हुँ पोते ब्रह्मचारी बु.” गांगेयनां ावां साहस नरेलां वचनोथी संतुष्ट थ देवताउए जयजय शब्द बोली पुष्पनी वृष्टि करी. तेमज तेनुं चिष्म एवं नाम पाड्यु. __ पड़ी धीवरे पोतानी पुत्री सत्यवती शांतनु राजाने श्रापी अने जिष्मने कडं के, “ एक दिवस में यमुनाने कांठे था कन्याने जोश हती. देवताउँए ए रत्नांगदनी पुत्री सत्यवती बे एम कर्यु. ढुं पुत्रविनानो हतो, तेथी में तेने प्रेमथी पाली." अनुक्रमे शांतनु राजा तेने परण्यो भने तेने परस्पर प्रेमवाला एक चित्रांगद अने बीजो चित्रवीर्य एवा बे पुत्रो थया. हवे ते बन्ने पुत्रो ज्यारे सर्व कलाउनो थान्यास करी यौवनावस्थामा श्रावी राज्य योग्य थया, त्यारे शांतनु राजा मरण पाम्यो. पनी गांगेये चित्रांगदने राज्य थाप्यु. त्यार पड़ी केटलेक वर्षे निलांगद नामना शत्रुनी साथे युद्ध करतां ज्यारे चित्रांगद
SR No.023404
Book TitleShilopadesh Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Kalidas Shastri
PublisherJain Vidyashala
Publication Year1900
Total Pages456
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size15 MB
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