SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 186
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ . १ शीलोपदेशमाला. नखवडे उफरडा करी सोर करवा लागी एटले तत्काल पेहेरेगीरो श्रावी पहोंच्या अने तेमणे पडिमाधारी एवा शांत सुदर्शन शेठने दीग. पडी ते विचार करवा लाग्या के, “ जेम चंडने विषे विषना कबोलनो संजव थाय नहिं तेम था शेग्ने विषे था पापनो संजव थतो नथी." एम धारीने ते ए ए वात तत्काल राजाने कही; तेथी राजाने त्यां श्राव्यो. __ अजया रोती रोती गद गद् वाणीथी राजा प्रत्ये कहेवा लागी. “ हे देव ! हुं श्रापनी रजा लश्ने जेटलामां अहिं श्रावीने बेठी तेटलामां अवसर विनाना कुष्मांड ( कोला ) फलनी पेठे में थाने म्हारी आगल दीगे. वली ते पुष्ट, मधुर वाणीथी मने पोतानी साथे क्रीडा करवानुं कहेवा लाग्यो. में ना कही एटले तो तेणे बलात्कारथी नखवडे म्हारा शरीरे उऊरडा कस्या, तेथी हुँ शोर करवा लागी. कारण अमारा अबलाजनने विषे बीजुं बल शुं होय ? " राजाए " सुदर्शन शेग्ने विषे श्रा काम असंजवित बे.” एम मानता बता तेमने पूब्युं के “ था कृत्य तमे कमु ? ” सुदर्शन शेठे अजयानी दयाथी कंश पण उत्तर प्राप्यो नहीं. कडं बे के-पीली नाखेलो एवोय पण शेरडीनो सांगे मिष्ट रस आपे ३. पनी “ परस्त्रीगमन, अने चोरीनुं मौन एज लक्षण जे. (अर्थात् परस्त्रीगमन करनारा अने चोरी करनारा जवाब आपता नथी.” एम विचार करीने राजाए तेने विषे दोष थारोपण कस्यो. पठी तेणे क्रोधथी रदकोने आज्ञा करी के, “श्रा शेठना दोषने नगरमा जाहेर करी पड़ी तेने शूली उपर चडावो.” राजाना थावा श्रादेशश्री रदको सुदर्शन शेग्ने केश पकडी बहार लई गया. त्यां तेमना मस्तके करेणनां पांदडां बांध्यां; कंठमां लींबडानां पानना हारो बाध्यां;मशथी मुख श्याम कमु; शरीरे रातो रंग चोपड्यो; वट सुपडानी बत्री धारण करावी अने गधेडा उपर बेसारी वाजींत्रना शब्दपूर्वक सघला नगरमां फेरव्या. ते वखते राजाना रदको उद्घोषणा करवा लाग्या के, " अंतःपुरमां अपराध करनारा था सुदर्शन शे ने शूली उपर श्रारोपण करवा लश् जवाय .” शेग्नी श्रावी स्थीति जो नगरवासी सर्वे जनो विचार करवा लाग्या. " अहो ! राजाए श्रा सारं कडं नथी, कारण एनो श्रावो अपराध होय नहीं. ए कांश कुशील
SR No.023404
Book TitleShilopadesh Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Kalidas Shastri
PublisherJain Vidyashala
Publication Year1900
Total Pages456
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy