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________________ सुदर्शन शेग्नी कथा. २७५ साथे ल बागमां क्रीडा करवो गयो. पाउल अजयाराणी पण पुरोहि. तनी स्त्री कपिलाने साथे लश् शाणी जेम अनी पाउण जाय तेम राजानी पाबल ग. ते वखते शुदर्शन शेग्नी स्त्री मनोरमा पोताना 3 पुत्रो सहित जाणे गुणयुक्त साम्राज्य लक्ष्मी होय नहिं शुं ? एम रस्ते जती हती; तेने जोश्ने कपिलाए आश्चर्यथी अनयाराणीने पूब्युं. “श्रा उ पुत्रोसहित कोनी स्त्री जाय ?” अजयाराणीए कह्यु. “हे ब्राह्मए! तुं हुं एने पण ओलखती नथी.? ए गृह लक्ष्मीना सरखी सुदर्शन शेउनी स्त्री मनोरमा ." कपिलाए हसिने कह्यु. “ जो ए सुदर्शन शेउनी स्त्री ने तो तेने शेरडीनी पेठे शु फल प्राप्ती होय ? अर्थात् जेम शेरडीने फल थतुं नथी तेम एने पण पुत्ररूप फल होय नहीं; तो पबी था पुत्रो क्यांथी ?” अजयाए कडं. "अरे वाचाल ! एम अयोग्य केम बोले ? राजा श्रने रांक ए बन्नेनुं साधारण लक्षण तो पुत्रज जे.” पनी कपिलाए “ सुदर्शन शेठ नपुंसक .” एम कहेवाथी अजयाए तेने परीक्षा, कारण पूब्युं, ते उपरथी कपिलाए पोतानी सर्व वात कही बतावी. पनी अजयाए कडं. “अरे मुखर्जी ! सुदर्शन शेठे तने तरी बे; कारण धर्मवंत एवो ते शेव परस्त्रीउने विषे नपुंसक बे; परंतु पोतानी स्त्रीने विषे नपुंसक नथी. शुं कमलने संकोच पमाडनारो कुमुदिनीनो पति चंड पुषण श्रापवा योग्य ?" ए प्रकारे श्रजयाराणीए वांदरीनी पेठे इसी काढेली कपिला विलक्षपणुं पामीने पनी मंद मंद वाणीथी बोली. “सुदर्शन शेठे नपुंसकना दंनथी मूर्ख एवी मने बेतरी बे; परंतु हुँ त्हारी चातुरी त्यारे जाएं के, ज्यारे तुं एनी साथे क्रीडा करे.?" अनयाए गर्व धरीने कडं."अरे ! जो एम होय तो में तेनी साथे क्रीडा करेली जाण्य. कारण के जे अनेक एवी राजकन्याउँथी न वश्य थ शके एवो श्रा म्हारो पति दधिवाहन राजा म्हारी कुटीना फरकवाथी वांदराना बालकनी पेठे जमे बे. ज्यारे वैराग्यवंत एवा तापसो पण स्त्रीउनी साथे क्रीडा करे , तो पड़ी निरंतर स्त्रीने विषे श्रासक्त थ रहेला था सुदर्शन शेग्नुं तो शुं कहेवु ? स्त्रीउँना कटाक्षथी एकेंजि एवा वृदो पण पुष्पित थाय ने तो पड़ी चतुर एवा पंचेजिय पुरुषोने कोल पमाडवामां केटलो श्रम थवानो ने ? जो हुं एनी साथे क्रीडा नहिं करुं तो अमिमां
SR No.023404
Book TitleShilopadesh Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Kalidas Shastri
PublisherJain Vidyashala
Publication Year1900
Total Pages456
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size15 MB
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