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________________ नेमिनाथ नवनवनी कथा. री स्त्री हती १ त्यांथी पहेला देवलोकमां तुं देव श्रने ते देवी थ३.२ त्यांची चवी तुं चित्रगति थयो त्यारे तेज तेज स्त्री हारी रत्नवती नामनी स्त्री थर हती.३ वली माहेंजदेवलोकमां तुं देव अने ते देवी थर. . ४ त्यांथी चवी तुं अपराजित कुमार थयो त्यारे ते प्रीतिमति नामनी त्हारी प्रीया थर- ५ त्यांथी तमे बन्ने बारुण देवलोकमां देव देवी ६ थश्ने श्रा सातमा नवमां तुं शंखकुमार थयो ढुं अने तेज स्त्री था यशोमती यश् . अहिथी चवी तुं अपराजित देवलोकमां देव थश्ने नवमा जवे था नारत देत्रने विषे यादवकुलमां नेमिनाथ नामनो बा. विशमो तीर्थंकर थश्श. अने ते वखते आ यशोमती अपराजित विमानमां देवी थश्ने त्यांथी चवी त्हारी राजीमती नामनी कन्या थशे. पण त्हारे विषे श्रासक्त थयेली ते तने न परणवाथी चारित्रने धारण करी मोकने पामशे. वली पूर्वनवमां जे त्हारा नान्हा बे लाइ हता ते था बे त्हारा ना तथा आ मतिप्रन नामनो पूर्वनवधी अनुसरी रहेलो प्रधान ते सर्वे त्हारा प्रथम गणधरो थशे.” एवां श्रीषेण केवलीनां व. चन सांजली शंखकुमारे पुंडरीक नामना पुत्रने राज्य थापी पोते स्त्री, जार्ज थने प्रधानसहित चारित्र लीधुं. पली अपूर्व वीशस्थानकादिक तप करी नक्ति विगेरेथी अरिहंत जगवाननुं श्राराधन करी निकाचित तीर्थंकर नाम कर्म बांधी अने उत्तम वैराग्यने पामी कर्म रूप सेपरहित शुझ देहने धारतो ते शंखकुमार शंखना सरखो शोजवा लाग्यो. पड़ी जावना, दमणा, गर्हणा, अनशन, चार शरण अने पांच परमेष्टि नमस्कार इत्यादि शोल आराधना पूर्वक अंतरंग शत्रुनो नाश करी निर्ममतावालो ते शंखकुमार मृत्यु पामीने अपराजित एवा अनुत्तर विमानमां देवता थयो अने त्यां तेणे तेत्रीश सागरोपम श्रायुष्य जोगव्यु. शति बीजा चार जवनुं वर्णन. आ जंबूझीपना जरतक्षेत्रमा दक्षिण दिशाये लक्ष्मीना कोश सरखो कुशावर्त नामनो देश बे. सर्व प्रकारना धान्यनी संपत्तिवाला अने उंची डांगरना क्षेत्रथी सुशोजित एवा ते देशमां अत्यंत मनोहर सौर्यपुर नामर्नु नगर जे. जे नगरनी लक्ष्मीने जोवा माटे उत्साहवंत ययेला जे ह. जार नेत्र कस्यां डे, ते नगरमां दशाई कुलमां उत्पन्न थयेलो अने उत्तम
SR No.023404
Book TitleShilopadesh Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Kalidas Shastri
PublisherJain Vidyashala
Publication Year1900
Total Pages456
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size15 MB
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