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(ख) [१.] स्थलवाचक अव्ययः
(अ) इत्थु (९. १८.), जित्थु, जेत्थु, तित्थु (६. ६.)
तेत्थु, केत्थु; वळो जेत्थहो (=जत्थहो २.-.६५.)
तेत्थहो (३. १३३.) (आ) इह (षष्ठी- रूप; २.१९०. ) जहि, तहि, कहिं जे
___ सर्वनामनां सप्तमीनांरूप छे ते पण अव्ययो तरीके वपराय छे. (इ) जउ (३.५७.) तउ (३.५७.) कउ (सि. हे. ८. ४. ४१६.) (ई) एत्तहे, जेत्तहे (१. ४२), तेत्तहे (१. १४२.), केत्तहे
अण्णेत्तहे (३. १७३.) [२] समयवाचक अव्ययः(अ) जाम (इ. ५.) ताम (६. ५१.) जाव (२. १८१.)
ताव (२. १८२.) जा, ता (१३. ११.) जावहिं (१.९०.)
तावहिं (१. ९०.) जव्वे (१३. २३.) तव्वे (१२. २४.)
(आ) तो (ततः १. ४२.) जो (१३. ११.) - - - [३] रीतिवाचक अव्ययः
(अ) अह (९. ४.), किह (३. १९२), जिह (३. १९२.),
तिह (२. २०१.) (आ) एम्व (१. २०), केम्व (२. ७८.) जेम्व (२. ५३.),
तेम्व (४. १३५.) आ रूपोमां ए नो विकल्पे इ याय
म्व, म, व नो पण विकल्प छे.
(इ) जह ( २. २०० ), तह कह (१. ५.) (ग.) अस्मद् अने युष्मद् नां षष्ठोनां रूपने आर <कार लगाही संबंध
साधित करवामां आवे छे. महार, अम्हार, तुहार (५. २३०), तुम्हार. तणउ अने केरउ नो प्रयोग नाम के सर्वनामना षष्ठीना रूप साथे
करीने पण संबंध दर्शावाय छे. . .. ६ ६२. तद्धितप्रत्ययः
अ-कड्ढियउं (१. १३४.), वड्ढियउं (१. १३५.) इ० अण-चिराण (५. १८०.) विशेषण.