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टाकी भने गौजर अपभ्रंश एटले के सामान्य अपभ्रंश लगभग सरखां छे; तेथी करीने पूर्वोक्त निर्णय तेमणे बांध्यो छे. राजशेखरनी काव्यमीमांसा ( G. O. S. I. P. 51 ) नो श्लोक चोक्खं कहे छेः सापभ्रंशप्रयोगाः सकलमरुभुवः टक्कभादानकाश्च । आ उपरथी फलित थाय छे के मारवाड, टक्क अने भादानक एटले के ग्वालीअर बाजुनो प्रदेश आ देशोमां अपभ्रंशन व्यवहार हतो भने टाकी भाषा अपभ्रंशनी एक बोली होवी जोईए ए विधानमा कल्पनातिरेक नथी. एनी उकार बहुलता आ मान्यताने टेको आपे छे.
३. उद्धरणवस्तुः
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आ उद्धरणनुं नाम बलपण्डु = बलप्रश्नः छे तीर्थकर नेमिनाथ द्वारका आवे छे. समवसरण भराय छे. नेमिनाथ धर्मोपदेश करे छे. त्यार पछी बलदेव प्रश्न करे छे. आ द्वारावतीनो नाश कोनाथी अने केवी रीते थशे ?" नेमिनाथ भविष्य भाखे छे. “ द्वैपायनना शापथी द्वारामतीनो नाश थशे अने कृष्णनुं मृत्यु जरत्कुमारना बाणथी थशे." आ भविष्यवाणी सांभळी सर्व यादवो अने यादव स्त्रीओना मनमां शाक व्यापे छे. वेटलाक प्रव्रज्या ले छे अने दुष्कर तप आदरे छे. आ कथा दिगंबर परंपराने अनुसरे छे. आ कथानी श्वेतांबर परंपरा जैनागमग्रन्थोना आठमा अंग-अंतगडदसाओमां वर्णवेली छे; तेमां बलदेव नहि पण कृष्ण नेमिनाथने प्रश्न पूछे छे.
देशपरदेश विहार करी नेमिनाथ साधुसमुदाय साथे आवे छे अने रैवतक पर्वतना उद्यानमा वास करे छे. ( १ ) त्यारे कृष्ण पोतानुं सिंहासन मेली शिर नमावी सात पगलां भरी नेमिनाथने प्रणाम करवा जाय छे. (२) त्यार पछी बलदेव तेमने वांदवा जाय छे. (३) एमनी पाछळ सात्यकि, चारुणि, सढरि, द्वैपायन इत्यादि यादव, पोतानी स्त्री, मित्र भने शिष्य सहित मकरांक = प्रद्युन्न नेमि नाथने वांदवा जाय छे. (४) स्यार पछी रुक्मिणीनो पुत्र भानुकुमार वांदवा जाय छे. (५) आ कडवुं विषम छे; परन्तु कृष्णनुं वर्णन अहिं फरीथी करवा प्रयास छे. वर्षाऋतुना मेघसमा कृष्ण आगळ चाल्या; भने आ रीते कृष्ण, बलदेव अने बीजा यादवो साधे वांदवा चाल्या. (६) आ रीते समवसरण थयुं अने नेमिनाथ मां लक्षित थया हता तथा देवो तेमने निहाळता हता. (७) बलदेव अने गोविंद नेमिनाथनी स्तुति करे छे (८) आ प्रमाणे स्तुति करी यादवो समवसरणमां मनुष्योने बेसवाना कोठामां बेठा (९) कृष्ण अने नेमिनाथनी प्रश्नोतरी आ करवामां छे. (१०) जेम जेम नेमिनाथ भगवान धर्म कहे छे, तेम तेम