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मास बेठो. कीचकनी नजर द्रौपदी पर बैठी अने तेने कामदेवनो ताप बाळवा लाग्यो. ज्या ज्यां द्रौपदी जती त्यां त्यां द्रौपदीने अनेक प्रकारे कीचक काम याचना' करतो. एक दिवस द्रौपदीए तेने धूतकारी कान्यो भने का, "मारी सेवा पांच गांधों करे छे जे आ वात जाणतां तने यमराजने त्यो मोकली आपशे.” (६) परन्तु नवहजार हाथीओना बळवाळो ते कीचक द्रौपदीनुं मुख जोइ बोल्यो “मने ब्रह्मा विष्णु अने महेश कांइ करी शके एम नथी तो पांच गांधवों मने शुं करवाना हता ? मारा पर प्रसाद करी मने जीवार भने अर्धी पृथ्वी हुँ तारी आगळ धरीश.” छतां य द्रौपदीए तेने तरछोड्यो; अने कीचकनी तो नवमी कामावस्था थई. तेणे पोतानी व्हेन कैकेयीने कां "आ स्त्रीथी मारुं मन रजित कर; अने सुगंधपदार्थों आपी वेने तुं मारे त्यां मोकल." कीचके तो एकांतघरमां द्रौपदीने पकडी; पण जेम सिंहना हाथमांथी पोताना पुण्ये करीने हरिणी छटकी जाय तेम द्रौपदी छटकी अने कंक तथा विराटराज ज्यां हता त्यां करुण रुदन करती पहोंची. (७) भानभूलेलो कीचक जमदतनी माफक तेनी पाछळ लाग्यो. तेणे द्रौपदीने तेना केशपाशथी पकडी हात मारी. राजा अने युधिष्ठिरना देखतां ते मूर्छा पामी. भीमनो मोजाज गयो अने तेनी दृष्टि वृक्ष पर पडी, पण तुरत ज युधिष्ठिरे पोताना पगनो अंगुठो डाबी तेने अटकाव्यो. नगरनी स्त्रीओ व्याकुळ थई अने बोलवा लागी "ज्यां आवो मोटो माणस दुराचरण करे त्यां सामान्यमाणस शुं करे ?" पांचाली पण रडवा लागी, " जो आ नगरमा गांधर्व होय तो शुं विट कीचक मने भाम वगोवी शके ? (८) क्रीडा माटे तेओ क्यांक गया हशे अने तेथी ज मारे हैयाबळीने आम सोर पडे छे; जो पांचमांथी एक पण होत तो युद्ध माटे ठीक थात." आम द्रौपदी बोलती हती तेवामां सूर्यास्त थयो अने रात्रीए ते
कोदर पासे गई भने पोताना कणी पडेला हाथ बतावती रडवा लागी. "तारा जीवतां मारी आवी अवस्था थाय छे. " (९) भीमे द्रौपदीने आश्वासन आपी आववानुं कारण पूछयु. द्रौपदीए दरेकनी दुर्दशानुं वर्णन कर्यु; (१०) अने कहेवा लागी के “ अगीआर मास उपर पंदर दिवस थया छतां य दुःखनो छेडो भावतो नथी." भीमे आश्वासन आप्यु, "तुं शा माटे रडे छे; आंख लुंछी नांख. ते संसारधर्म नीरख्यो नथी. पूर्वजन्मनां कमरूपी वृक्ष केटलुक सुख अने केटलुक दुःख एम बे फळ आपे छे. शुं रावणे सीताने ओळु दुःख आप्यु हतुं ? (११) गई काले में कीचकने मारी नाख्यो नथी; पण आजरात्रे तो ते मारा हाथे मरशे ज. तुं एनी साथे रात्रे संकेत करी तेने नृत्यशालामा लाव." द्रौपदी हर्षे पामी अने पोताना निवासे गई. अने बीजा दिवसनो सूर्य ऊग्यो