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(२११) ४-१४४ (गुलुगुच्छ, उत्थंघ, अल्लत्थ, उब्भुन्त, उस्मिउद-क्षिपक , हक्खिप, उक्खिव (आपूर्चस्य क्षिप
४-१४५ (ते.) गीरव, अक्खिव स्वप ४-१४६ कमठस, लिस, लोह, सुअ वेप ४-१४७
आअम्ब, आअज्झ वेव वि-लप ४-१४७ भंख, वडवड, विलव लिए ४-१४९
लिंप गुप ४-१५० विड, णड, गुप्प कृपांकरोति ४-१५१ अवहावेइ प्र-दीप ४-१५१ तेअव, संदुम, संधुक्क, अभुत्त लुभ ४-१५९
संभाव, लुव्म क्षुभ् ४-१५४
खउर, पड्डह आ-रम ४-१५५ आरंभ, आढव, आरम उप-आ-लभ ४-१५६ झंख पच्चार, वेलव; उवालभ अव-मुंभ ४-१५७ जंभा, जभाअइ नम् ४-२२६
णव नम (भाराक्रान्ते कर्तरि) ४-१५८ णिमुढ, नव वि-श्रम ४-१५९ णिव्वा वीसम आ-क्रम ४-१६० ओहाव उच्छार, छंद, अक्कम