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________________ तृतीय अध्याय ६७ ( २७ ) प और स्प के स्थान में फ आदेश होता है । ष्प का फ जैसे :- - पुफ्फं, सफ्फं, निफ्फेसो ( पुष्पम्, शष्पम्, निष्पेषः ) स्प का फ जैसे :- फंदणं, पडिफ्फद्दी, फंसो ( स्पन्दनम्, प्रतिस्पद्ध, स्पर्शः ) ( २८ ) संयुक्त श्न, ष्ण, स्न, ह्न, हृ और सूक्ष्म शब्द के दम के स्थान में यह आदेश होता है । श्न का ह जैसे :- पण्हो ( प्रश्न : ); ष्ण का ण्ह जैसे : – विहू, कण्हो, उहीसं (विष्णुः, कृष्णः, उष्णीषम् ) स्त्र का ण्ह जैसे :जोण्हा, पहाऊ, पहाणं, वही, जण्हू ( ज्योत्स्ना, स्नायुः, स्नानम्, वह्निः, जहुः ) ह्र का पह जैसे :-पुव्यण्हो, अवरहो (पूर्वाह्नः, अपराह्नः ) क्ष्ण का ण्ह जैसे : -सहं, तिन्हं ( श्लक्ष्णम्, तीक्ष्णम् ) सूक्ष्म के क्ष्म का ण्ह जैसे :- सहं ( सूक्ष्मम् ) ( २६ ) संयुक्त इम, हम, स्म और ह्म के स्थान में म्ह आदेश होता है । इम का म्ह जैसे :- कम्हारो ( काश्मीर : ) ष्म का म्ह जैसे : – गिम्हो, उम्हं ( ग्रीष्म:, उष्मा ); स्म का म्ह जैसे :- अम्हारिसो, विम्हओ ( अस्मादृशः, विस्मयः ) का म्ह जैसे :- बम्हा, सम्हो, बम्हणो, बम्हचरं ( ब्रह्मा, सुह्म:, ब्राह्मणः, ब्रह्मचर्यम् ) विशेष – (क) ब्रह्मचर्यम् के लिए कभी-कभी वम्भचेरं रूप भी देखा जाता है । (ख) रश्मि: और स्मर: में उक्त नियम लागू नहीं होता है | जैसे : रस्सी, सरो |
SR No.023386
Book TitlePrakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhusudan Prasad Mishra
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year1961
Total Pages320
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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