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________________ ११८ प्राकृत व्याकरण . (१३) मागधी में स्था धातु के तिष्ठ के स्थान में चिष्ठ आदेश होता है । जैसे :-चिष्ठदि (तिष्ठति ) । विशेष-किसी-किसी पुस्तक के अनुसार चिट्ठ आदेश होकर चिट्ठदि रूप भी होता है। (१४) मागधी में अवर्ण से पर में आनेवाले उस् ( षष्ठी के एकवचन ) के स्थान में आह आदेश विकल्प से होता है। आह के पूर्ववर्ती टि का लोप होता है । जैसे :-हगे न इदिशाह कम्माह काली ( अहं न ईदृशस्य कर्मणः कारी ); पक्ष में-भीमशेणस्स पश्चादो हिण्डीअदि । (५५) मागधी में अवर्ण से पर में विद्यमान आम के स्थान में आह आदेश विकल्प से होता है और पूर्व के टि का लोप हो जाता है । जैसे :-जाह ( येषाम् ); पक्ष में-जाणं ( येषाम् )। ___(१६) मागधी में अहम् और वयम् के स्थान में हगे आदेश होता है। जैसे :-हगे शक्कावदालतिस्तणिवाशी धीवले ( अहं शक्रावतारतीर्थनिवासी धीवरः)। विशेष—प्राकृतप्रकाश के अनुसार अहं के स्थान पर हके और अहके भी होते हैं। ___प्राकृत-प्रकाश के अनुसार मागधी के विशेष शब्द | संस्कृत मागधी प्रा. प्र. अ. सूत्र माषः माशे ११ ३ विलासः विलाशे जायते यायदे परिचयः पलिचये गृहीतच्छलः गहिदच्छले wr xx * *
SR No.023386
Book TitlePrakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhusudan Prasad Mishra
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year1961
Total Pages320
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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