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प्राकृत व्याकरण
एत का अभाव हस्व का अभाव
कीदिसं कुमारी कुदो कुम्हण्डो केसुओ कोदूहलं खणो खीरं गद्दहो चउट्ठी चउद्दही चिण्हं जधा जण्णसेणो जादिसं जुहुट्ठिरो दुज्ममाणो णईओ गणं तत्थ, तहि, तस्सि
कीदृशम् कुमारी कुतः कुष्माण्ड: किंशुकः कौतूहलम् क्षण. क्षीरम् गर्दभः चतुर्थी चतुर्दशी
ह का अभाव
ओत्व का अभाव द्वित्व का अभाव छ का अभाव छ का अभाव उ का अभाव ओत् का अभाव ओत् का अभाव न्ध का अभाव ह्रस्व का अभाव
चिह्नम् ।
अत् का अभाव
यथा यज्ञसेनः यादृशम् युधिष्ठिरः दह्यमानः नद्यः नूनम् तस्मिन् ।'
म्मि का अभाव
त्वया, त्वयि
हस्व का अभाव
तधा तादिसं
तुण्डं ।
ओत्व का अभाव
तथा तादृशम् तुण्डम् वं अथवा त्वाम् यूयम् , युष्मान् युष्माभिः
तुम
तुम्हे तुम्हेहिं