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________________ १३२ सं+ वृ० आ+ प्र+ह अव + त शक त्यज पारि (पृ+ णिच्) फक्क श्लाघ खच पच मस्ज पुञ्ज लज्ज उद्+विज तिज मृज प्राकृत व्याकरण साहर, साहट्ट | पक्ष में संवर सन्नाम | पक्ष में आदर सार | पक्ष में पहर ओह, ओरस | पक्ष में ओअर .. चय, तर, तीर, पार | पक्ष में सक्क चय तर पार थक्क | किसी के मत से छक्क सलह वेअड | पक्ष में खच सोल्ल, पउल अथवा पउल्ल | पक्ष में पअ . आउड्ड, णिउड्ड, वुड्ड, खुप्प आरोल, वमाल | पक्ष में पुंज जीह | पक्ष में लज्ज उव्विव ओसुक्क उग्घुस, लुब्छ, पुञ्छ, पुंस, फुस, पुस, लुह, हुल, रोसाण वेमय, मुसुमूर, मूर, सूर, सूड, विर, पवि. रञ्ज, करञ्ज, नीरञ्ज वच्च पडिअग्ग, अणुवञ्च विढव, अज्ज . जुञ्ज, जुज्ज, जुप्प भुञ्ज, जिम, जेम, कम्म, अण्ह, समाण, चड्ड कम्मव भञ्ज ब्रज ग अनु + ब्रज अर्ज युज भुज . उप+भुज
SR No.023386
Book TitlePrakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhusudan Prasad Mishra
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year1961
Total Pages320
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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