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________________ षष्ठ अध्याय १२६ अर्पि सं+भावि आसंघ उद्+नामि उत्थघ ( उत्थंघ ), उल्लाल, गुलुगुच्छ, उप्पेल, (किसी किसी के मत से उस्याव भी) प्र+स्थापि पट्ठव, पेण्डव, पठ्ठाव वि+ज्ञपि वोक, आवुक्क (हेमचन्द्र के अनुसार अवुक्क ), विण्णव अल्लिव, चच्चुप्प, पणाम, अप्प यापि जव, जाव प्लावि उम्वाल, पव्वाल, पाव विकोशि(नामधातुण्यन्त)पक्खोड (कसी २ के मत से परकोड) रोमन्थि उग्गाल (हेम०-ओग्गाल) वग्गोल, रोमंथ कामि णिहुव, काम प्र+काशि पुव्व, पआ (या)स कम्पि विच्छोल, कम्प आ+रोहि (पि) वल, रोव दोलि रङ्खोल, दोल ( मतान्तर से ढोल भी) राव, रञ्ज घट + णिच परिवाड, घड वेष्टि । परिआल, वेढ रञ्जि क्री किण वि+क्री भी आ+ली नि+ली क्के, किण, (विक्केइ, विक्कणइ) भा, बीह अल्ली (अलियइ, अल्लीणो) णिलीअ, णिलुक्क, णिरिग्घ, लुक्क, लिक्क, ल्हिक्क, निलिज विरा, विलिज वि+ली ।
SR No.023386
Book TitlePrakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhusudan Prasad Mishra
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year1961
Total Pages320
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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