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प्राकृत व्याकरण
आ +घ्रा
आइग्घ अब्भुत्त ( कहीं कहीं अब्भुक्क)
खा
सम् +स्त्यै स्था उद्+स्था
निर + मा
क्षि
ठा, थक्क, चिट्ठ, निरप्प ठ, कुक्कुर वा, पव्वाय निम्मण, निम्मव णिज्मर कहीं कहीं निब्भर और पक्ष में झिज्ज णुम, नू (णू) म, सन्नुम ढक्क, ओम्बाल पव्वाल णिहोड पक्ष में निवार णिहोड, पाड (पाडेइ)
छादि
दूम
निवारि निपाति दू+ णिच धवलि तोलि विरेचि ताडि मिश्रि उद् + धूलि नश + णिच
दुम, दूम, धवल ओहाम ओलुण्ड, उल्लुण्ड, पल्हत्थ, पक्ष में-विरेअई ओहोड, विहोड वीसाल, मेलव
भ्रम + णिच
विउड, नासव, हारव, विप्पगाल, पलाव पक्ष में नास तालिअण्ट, तमाड पक्ष में भाम, भमाड,
भमाव दाव, दंश, दक्खव पक्ष में दरिस . उग्ग पक्ष में उग्घाड
हश+णिच उद्+घाटि स्पृह + णिच
सिह