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________________ प्राकृत व्याकरण द्वि, त्रि और चतुर् शब्दों के रूप : द्विशब्द , त्रिशब्द चतुरशब्द प्रथमा । दो, दुवे, दोणि, तिण्णि चत्तारो, चउरो, " ( वेणि, दुणि, विणिः चत्तारि द्वितीया तृतीया दोहिं, दोहि, विहि. तीहिं चऊहिं पञ्चमी दोहितो, वेहिंतो इ० तीहितो चऊहिंतो षष्टी दोरह, दोण्णं, वेण्णं तिण्णं चउपह सप्तमी दोसु, वेसु चउसु (४६ ) अन्य संख्यावाचक शब्दों के रूप अदन्त शब्दों के समान चलते हैं। (५०) स्त्रीलिङ्ग में पश्चन् शब्द से आप प्रत्यय होता है। जैसे :-पञ्चा, पञ्चाहिं इत्यादि । (५१) तादर्थ्य ( उसके लिए ) अर्थ में षष्ठी विभक्ति विकल्प से आती है। (५२) प्राकृत में विभक्तियों के व्यवहार का कोई विशेष नियम नहीं है । कहीं द्वितीया और तृतीया के स्थान में सप्तमी कहीं पञ्चमी के स्थान में तृतीया तथा सप्तमी और प्रथमा के बदले द्वितीया विभक्तियाँ व्यवहृत होती हैं ।
SR No.023386
Book TitlePrakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhusudan Prasad Mishra
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year1961
Total Pages320
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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