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________________ ८० प्राकृत व्याकरण पञ्चमी गिरित्तो इत्यादि गिरिहितो, गिरिसुंतो इत्यादि षष्ठी गिरिणो, गिरिस्स गिरिण, गिरिणं सप्तमी गिरिम्मि गिरीसु, गिरीसुं संबोधन गिरि गिरीओ हेमचन्द्र (३, १६-२४ ) के अनुसार गिरि शब्द के रूपएकवचन बहुवचन प्रथमा गिरी गिरी, गिरवो, गिरउ, गिरिणो, द्वितीया गिरि गिरी, गिरिणो तृतीया गिरिणा गिरीहि-हिँ-हिं गिरिणो, गिरित्तो । गिरित्तो, गिरीओ, पञ्चमी गिरीओ, गिरीउ गिरीउ, गिरीहितो, गिरीहितो गिरीसुतो षष्ठी गिरिणो, गिरिस्स गिरीण, गिरीणं . सप्तमी गिरिम्मि गिरीसु, गिरीसुं संबोधन गिरि, गिरी गिरिणो, गिरओ, गिरउ, गिरी ... उदन्त पुंल्लिङ्ग गुरु शब्द के रूप :प्रथमा गुरू गुरूओ, गुरुगो द्वितीया गुरुं गुरुणो तृतीया गुरुणा गुरूहि-हि-हिं पश्चमी गुरुत्तो इत्यादि गुरुहिंतो इत्यादि षष्ठी गुरुणो, गुरुस्स गुरुणं, गुरुण सप्तमी गुरुम्मि गुरुसु, गुरुसुं संबोधन गुरु गुरूओ 1191111
SR No.023386
Book TitlePrakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhusudan Prasad Mishra
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year1961
Total Pages320
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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