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प्रभु महावीर
सूर्य अस्त हो गया, भक्तों ने उनकी कमी पूरी करने के लिये लाखों दिये जलाये, जिनसे दिवाली का त्यौहार शुरू हुआ।
जिस महापुरुष ने अद्वितीय - जीवन विताकर अपनी आत्मा तथा जगत का कल्याण किया, उसके गुणों का वर्णन कौन कर सकता है ? जबतक संसार का अस्तित्व है, तवतक वह इस उपकार को याद रखेगा और उनके उपदेश का अनुसरण कर, अपना कल्याण साधेगा ।
अगणित वन्दन हीं प्रभु - महावीर को ! अगणित प्रणाम उस मानवजाति के उद्धारक को !
प्रभु महावीरकी निर्वाणभूमि - जलमंदिर पावापुरी
का
अत्यंत मनोहर त्रिरंगी चित्र । मू. २ आना
त्रिशला माताको आये हुए चौदह स्वप्न भाववाही त्रिरंगी चित्र ।
भू. २ आना २५ नकल रु. २ ||
ज्योति कार्यालय