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श्री ऋषभदेव
: १ ः अत्यन्त प्राचीन काल की बात है। उस समय की, जब कि इस देश में न तो छोटे-छोटे ग्राम ही थे और न बड़े-बड़े शहर ही । सब जगह, हरी-हरी, सघन और सुहावनी झाड़िये थीं । जहाँ देखो, वहीं अमृत के समान मीठे - फल वृक्षों पर लदे रहते थे । जहाँ देखो, वहीं अमृत के समान मीठा पानी पीने को मिलता था । उस समय के मनुष्य, ऐसे अमृत के समान मीठे - फल खाते, अमृत के सदृश मीठापानी पीते तथा जंगल में भ्रमण करते हुए आनन्द करते थे । वह, पूर्ण - स्वतन्त्रता का युग था । उन दिनों कोई भी किसी से लड़ता - झगड़ता नहीं था, परस्पर वैर नहीं होता था और न आजकल की तरह लोग धोखेबाजी ही करते थे । प्रत्येक - मनुष्य पवित्र - हृदय होता था ।
मनुष्य - समाज, इस प्रकार वन में रहते हुए आनन्दपूर्वक दिन काट रहा था, कि अकस्मात एक दिन वहाँ हाथी आगया । इस हाथी के साथ, एक मनुष्य की मित्रता होगई, अतः वह प्रतिदिन हस