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________________ श्री पार्श्वनाथ धीरे-धीरे बहनेवाली गंगाजी के किनारे पर काशी नामक एक बड़ा शहर है । वहाँ, प्राचीनकाल में अश्वसेन नाम के एक राजा राज्य करते थे । इन राजा की पटरानी का नाम वामादेवी था। ये दोनों, आपस में एक दूसरे से बड़ा प्रेम रखते हुए आनन्द पूर्वक दिन बिता रहे थे। __एक दिन, घोर-अँधेरी रात में वामादेवी अपने पलँग पर सोई हुई थीं। इसी समय, एक काला-नाग उनके पास होकर निकल गया । एक तो घोर अँधेरा, दूसरे साँप भी काला ! भला ऐसे काले-अँधियारे में काले-साँप को कोई कैसे देख सकता था ? किन्तु आश्चर्य की बात है, कि वामादेवी ने उस समय भी उस काले-साँप को जाते देख लिया । उस काले तथा डरावने साँप को देखकर, वामादेवी को जरा भी डर न मालूम हुआ। रानी ने, दूसरे दिन यह बात राजा से कही।रानी की बात सुनकर,
SR No.023378
Book TitleHindi Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Bhajamishankar Dikshit
PublisherJyoti Karayalay
Publication Year1932
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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