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खेमा-देदराणो ___ खेमाशाह ने, एक वर्ष तक, सारे गुजरात को तफ्म में अनाज बाँटा, जिससे लाखों-मनुष्य भूखों मरने से बच गये और खेमाशाह को आशीर्वाद देने लगे।
खेमाशाह की उदार-दानशीलता धन्य है !
धीरे-गुजरात से वह दुष्काल दूर होगया । अब खेमाशाह ने शत्रुनय की यात्रा की। फिर, पवित्र-जीवन व्यतीत करके, उन्होंने अपनी आयु पूर्ण की। इसी दान-वीर के समय से, यह कहावत चला है, कि-" व्यौपारी है पहला शाह, दूजा शाह बादशाह"।
भारतवर्ष में, ऐसे अनेक खेमा-देदराणी हों और अपनी उदारता से प्राणिमात्र का कल्याण करें।
शिवमस्तु सर्वजगतः