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________________ १३ वस्तुपाल-तेजपाल वालों के साथ, सारे भारत में दानशीलता का व्यवहार किया। केदारनाथ से कन्याकुमारी तक ऐसा एक भी छोटा-बड़ा तीर्थ-स्थान नहीं है, जहाँ इन लोगों की उदारता का परिचय न मिला हो । सोमनाथ-पाटन को ये प्रति-वर्ष दस-लाख, और काशी, द्वारिका आदि स्थानों को प्रति-वर्ष एक-एक लाख रुपया सहायता स्वरूप भेजते थे। यही नहीं, उन्होंने बहुत-से शिवालय तथा मस्जिदें भी तयार करवाई थीं। तालाब, कुए और बावलिये उन्होंने कितनी बनवाई थीं, इसकी तो कोई गिनती ही नहीं है । ___ इन दोनों भाइयों के चतुरतापूर्ण कार्यों से प्रजा बड़ी सुखी थी। राज्य में बन्दोबस्त भी बहुत-अच्छा था।सब धर्मों के लोग अपना-अपना धर्म अच्छी तरह पालन कर सकते थे। देश में दुष्काल का कहीं नाम भी न था। ___ अब राजा वीरधवल की मृत्यु होगई । उनकी मृत्यु के बाद इन दोनों भाइयों ने उनके पुत्र वीसलदेव को राजगद्दी पर बैठाया और स्वयं पहले की ही तरह राज्य-कार्य करने लगे। कुछ दिनों के बाद वस्तुपाल को यह जान पड़ा, कि अब मेरा अन्तकाल समीप आगया है। अतः उन्होंने सब के साथ मिलकर, शत्रुजय के लिये एक संघ निकाला। राजा
SR No.023378
Book TitleHindi Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Bhajamishankar Dikshit
PublisherJyoti Karayalay
Publication Year1932
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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