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________________ __ एक राजा की कन्या को, जहरी-साप का विष चढ़ा था । श्रीपाल ने जहर दूर कर दिया, अतः राजा ने प्रसन्न होकर यह कन्या उन्हें ही विवाह दी। एक जगह उस व्यक्ति के साथ कन्या का विवाह करना तय हुआ था, जो राधावेध साधे । श्रीपाल नेराधावेध साधा और उस कन्या से भी अपना विवाह कर लिया। इस तरह परदेश में आठ-त्रियों से विवाह कर, तथा बहुत-सा धन एकत्रित करके, श्रीपाल अपनी बड़ीभारी सेना लेकर उज्जैन के पास आ पहुँचे। उज्जैन के राजा ने समझा, कि कोई बड़ा-भारी राजा चढ़ आया है, अतः वह सामने चलकर शरण में आया । श्रीपाल, अपनी माता तथा मैना से मिलकर बड़े प्रसन्न हुए । आनन्दोत्सव का प्रारम्भ हुआ। वहाँ, एक नाटक-मण्डली नाटक करने लगी। सभी पात्र अपना-अपना पार्ट आनन्दपूर्वक कर रहे थे, किन्तु एक नटी खड़ी न हुई। ___ उस नटी के नेत्रों में से, आँसुओं की धारा बह रही थी। जांच करने पर, सब हालात ठीक-ठीक मालूम होगये । वह नटी और कोई नहीं, स्वयं उज्जैन के राजा
SR No.023378
Book TitleHindi Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Bhajamishankar Dikshit
PublisherJyoti Karayalay
Publication Year1932
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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