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________________ १४ ब्राह्मणी, उस जगह से दस कदम चली ही थी, कि सिंहनी दिखाई दी । भयङ्कर - जङ्गल में भागकर जाती कहाँ ? और सिंहनी भी सामने से क्यों हटने लगी ? फिर भी मौत आने पर उससे बचने का प्रयत्न कौन नहीं करता ? ब्राह्मणी भागना शुरू किया । किन्तु सिंहनी ने एक छलांग मारी और ठीक ब्राह्मणी के ऊपर गिरी | नीचे ब्राह्मणी थी, ऊपर सिंहनी ! घड़ी दोघड़ी में ही, वहाँ उस ब्राह्मणी की केवल हड्डियें ही हड्डिय दिखाई दीं । सिंहनी, मुँह हिलाती हुई जंगल की तरफ चली गई । अमरकुमार, शुभ--ध्यान में मरे, अतः कहा जाता है, कि वे देवलोक को गये । पापिनी माता, पाप-ध्यान में मरी, अतः कहते हैं, कि उसे नर्क की गति प्राप्त हुई । आज भी, अमरकुमार की सज्झाय पढ़ी जाती है, जिसे सुनकर मनुष्यों के नेत्रों से आँसू गिरने लगते हैं । हे नाथ ! हमलोगों को भी अमरकुमार की --सी श्रद्धा मिले और उन्ही का - सा मनोबल प्राप्त हो । ॥ ॐ शान्ति: ॥
SR No.023378
Book TitleHindi Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Bhajamishankar Dikshit
PublisherJyoti Karayalay
Publication Year1932
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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