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अमरकुमार पहले ही की तरह सिर हिलाते हुए उसे फिर बन्द कर लिया । राजा फिर बोले-" ज्योतिषीजी ! सिर क्यों हिला रहे हो ? आपके ज्योतिष के हिसाब में क्या आता है ? क्या किसी देव का कोप है अथवा पृथ्वी-माता बलिदान चाहती है ? जो कुछ हो, सच-सच कह दीजिये।"
जोशी ने सोचा, कि सच्ची-बात कहनी ही पड़ेगी, बिना सत्य कहे अब निर्वाह नहीं है । अतः वे राजा से बोले -" महाराज ! चित्रशाला का दरवाजा बत्तीस-लक्षणवाला बालक माँगता है। यदि आप ऐसे बालक का बलिदान दें, तब तो चित्रशाला का दरवाजा टिक सकता है, नहीं तो कदापि नहीं।" ____ यह सुनकर सब डर गये । न कोई हिलता था, न डुलता । चारों तरफ सन्नाटा-सा छा गया। .
राजा ने हुक्म दिया, कि-" नगर में ढिंढोरा पिटवा दो, कि जो कोई बत्तीस-लक्षणों से युक्त बालक देगा, उसे बालक के बराबर तौलकर सोने की मुहरें दी जावेंगी।"
नगर में ढिंढोरा पिटवा दिया गया।
इसी नगर में, ऋषभदत्त नामक एक ब्राह्मण रहता था। उस बेचारे को, न तो एक समय खाने भर को पूरा अनाज ही मिलता था और न पहनने-ओढ़ने की ही कुछ व्यवस्था थी । यदि सबेरे भोजन मिल जाता, तो शाम को न मिलता