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सम्बन्धी विचार उत्पन्न हुए । उन विचारों से, हृदय बिलकुल पवित्र होते ही, उन्हें भी केवलज्ञान होगया।
ये चारों-केवलज्ञानी, एक लम्बे समय तक इस संसार में भ्रमण करते रहे । इस काल में, उनके पवित्रजीवन का, बहुत लोगों पर प्रभाव पड़ा । उनके अमृत के समान उपदेशों से, बहुतों के जीवन पलट गये । __अपना-अपना आयुष्य पूरा होने पर, ये सब निर्वाण -पद को प्राप्त हो गये। धन्य है इलाची के समान साहसी नर वीरों को!
शिवमस्तु सर्वजगतः
जैन ज्योति जैन जनताका प्रथम सचित्र कलात्मक मासिक
तंत्री: धीरजलाल टोकरशी शाह वार्षिक मूल्य रू. २-४-०] [एक अंक ०-४-०