________________
२७
अभयकुमार की बुद्धिमानी के, ऐसे-ऐसे अनेकों उदाहरण हैं । यही कारण है, कि लोग आज भी यह इच्छा करते हैं, कि हम में अभयकुमार की-सी बुद्धि हो ।
: १२:
महाराजा - श्रेणिक ने, अभयकुमार को राजगद्दी के लायक देखकर, उनसे आग्रह किया, कि - " हे पुत्र ! तुम इस राज्य का उपभोग करो, मेरी इच्छा भगवान - महावीर से दीक्षा लेने की है" । किन्तु अभयकुमार ने कहा - " पिताजी! मुझे राज्य की आवश्यकता नहीं हैं । मैं, अब अपने आत्मा का कल्याण करना चाहता हूँ । प्रभु -- महावीर से दीक्षा लेने को, मेरी भी बड़ी इच्छा है। आप, इसके लिये मुझे आज्ञा दीजिये । "
राजा श्रेणिक ने, राज्य ले लेने के लिये बड़ा आग्रह किया, किन्तु अभयकुमार अपने निश्चय पर दृढ़ रहे । अन्त में, प्रसन्न होकर श्रेणिक ने आज्ञा दे दी ।
बुद्धि के भण्डार अभयकुमार ने, साधु होकर पवित्रजीवन बिताना प्रारम्भ किया और संयम तथा तप से आत्मशुद्धि करने लगे । बहुत दिनों तक ऐसा जीवन व्यतीतकर, उन्होंने अपनी जीवनलीला समाप्त की । ॐ शान्तिः