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________________ अभयकुमार वेणातट नामक एक ग्राम था। इस गाँव में, अभय नामक एक लड़का रहता था । यह बहुत अधिक चालाक, बड़ा होशियार और पढ़ने-लिखने तथा खेलनेकूदने में बड़ा तेज़ था। अभय एक दिन खेलने गया। वहाँ खेल ही खेल में लड़ाई होगई। इतने में एक लड़का अभय से बोला-" अरे बिना बाप के उधर बैठ, तू इतनी तेजो किसके बल पर दिखला रहा है ?" अभय बोला-"जरा विचारकर बोल, मेरे पिता तो अभी मौजूद ही हैं, क्या तू भद्रसेठ को नहीं पहचानता ?" । वह लड़का कहने लगा-" अरे, वे तो तेरी माँ के पिता हैं, तेरे पिता कहाँ से होगये ?" ___ यह बात सुनकर अभय अपने घर आया और अपनी माता से पूछने लगा-"माताजी ! मेरे पिताजी कहा है ?" । माता ने उत्तर दिया-" बेटा ! वे दुकान पर होंगे"। अभय ने फिर कहा-"वे तो आपके पिता है, मैं तो अपने पिता को पूछ रहा हूँ?"। अभय की
SR No.023378
Book TitleHindi Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Bhajamishankar Dikshit
PublisherJyoti Karayalay
Publication Year1932
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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