SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 120
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ महात्मा -ढ़प्रहारी : १ ः एक ब्राह्मण के दुर्धर नामक लड़का था । वह, बड़ा उपद्रवी और बुरे स्वभाववाला था । माँ-बाप का कहना न मानता, झूठ बोलता, साथियों को गाली देता, बात-बात में लड़ाई करता और किसी की वस्तु मिलते ही उसे उठा लेता । ज्यों-ज्यों वह बड़ा होता गया त्यों-त्यों उसकी बुरी आदतें भी बढ़ती गई । होते-होते उसे जुआ खेलने की भी आदत पड़ गई । वह जुआ खेलने में पैसे खूब हारता था । आखिर प्रतिदिन जुआ खेलने को पैसे कहाँ से आते ? अतः उसने चोरी करना प्रारम्भ कर दिया । अपनी चालाकी की अधिकता के कारण वह चोरी करने में निपुण होगया और बड़ी-बड़ी चोरियें करने पर भी न पकड़ा जासका । गाँव में उसके अत्याचार की कोई सीमा न रही। गाँव के चतुर मनुष्यों ने उसे शिक्षा दी - “भाई ! बुरी आदतें छोड़ दो, इनसे तुम्हें क्या लाभ होता है ? यदि तुम अपनी बुद्धि का अच्छे कार्य में उपयोग करो, तो
SR No.023378
Book TitleHindi Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Bhajamishankar Dikshit
PublisherJyoti Karayalay
Publication Year1932
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy